बेटियों ने पिता

joharcg.com छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव में एक दिल को छू लेने वाली घटना सामने आई, जब बेटियों ने अपने पिता की अंतिम यात्रा में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी अर्थी को कंधा दिया। यह दृश्य न केवल उनके पारिवारिक रिश्तों की गहरी मजबूती को दर्शाता है, बल्कि समाज में बेटियों की भूमिका को भी सशक्त करता है।

पिता के निधन के बाद, बेटी ने अपनी भावनाओं को एक ओर बयां करते हुए कहा, “हमारे लिए यह पल कठिन है, लेकिन हम जानती हैं कि हमारे पिता का आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहेगा। हम उनका आदर और प्रेम कभी नहीं भूलेंगे।” पिता के अंतिम संस्कार में उनकी बेटियों ने हर रीति-रिवाज का पालन किया और पिता को अंतिम विदाई देने के दौरान उनका पूरा साथ दिया।

इस घटना ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे गांव में गहरी छाप छोड़ी है। आम तौर पर ऐसी पारंपरिक भूमिकाएं बेटे ही निभाते हैं, लेकिन इस मामले में बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा देकर यह दिखा दिया कि पारिवारिक जिम्मेदारी सिर्फ बेटों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बेटियां भी किसी से पीछे नहीं हैं।

गांव के अन्य लोगों ने भी इस कदम की सराहना की और इसे सामाजिक बदलाव की दिशा में एक मजबूत कदम बताया। स्थानीय प्रशासन और समाज के अन्य नेताओं ने इस कदम को महिलाओं के अधिकारों और समानता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत बताया है।

बालोद। बेटियां अब बेटों से कम नहीं है। अब बेटियां भी हर वह काम कर रही हैं, जो सिर्फ बेटे ही करते थे। वक्त के साथ समाज की सोच भी बदल रही है। बेटियां पिता की अर्थी को कंधा देने के साथ मुखाग्नि दे रही हैं। ऐसा ही नजारा बालोद नगर के बूढ़ा तालाब मार्ग में देखने को मिला। परंपराओं से हटकर दो बेटियों ने अपने पिता को कंधा देकर मुक्तिधाम ले गई और मुखाग्नि दी।

मृतक जय श्रीवास्तव का कोई बेटा नहीं था बल्कि दो बेटियां थीं। ताँदुला मुक्तिधाम में उस समय लोगों के आंसू छलक पड़े, जब एक बेटी ने परंपराओं के बंधन को तोड़ते हुए अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। उसने बेटा बनकर हर फर्ज पूरा किया। अंतिम संस्कार में वह रोती रही, पिता को याद करती रही  लेकिन बेटे की कमी को पूरा किया।

बिमारी के कारण हुआ पिता का निधन
बालोद बूढ़ा तालाब मार्ग निवासी 65 वर्षीय जय श्रीवास्तव का बीमारी के कारण रविवार को निधन हो गया। उनकी सिर्फ दो बेटियां पूजा और अर्चना श्रीवास्तव हैं। जिसमे एक बेटी की शादी हो गई है। जय श्रीवास्तव की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए लोग असमंजस में थे।

दोनों बेटियों ने अर्थी को कंधा देकर किया अंतिम संस्कार
बेटा नहीं होने के कारण दोनों बेटियों ने अर्थी को कंधा दिया और अंतिम संस्कार की सारी रस्मे पूरी कर मुखाग्नि दी। उन्होंने शहर में एक मिसाल पेश की, जिसे देखकर लोगों ने कहा कि समय के साथ सोच बदलने की जरूरत है। फिर बेटियां अपने पिता को कंधा देकर तादुला मुक्तिधाम ले गई और विधि विधान से अंतिम संस्कार किया।

हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं लड़कियां
आज लड़कियों का जमाना है। वह हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया है और वह सभी कार्य करेंगी, जो एक बेटे को करनी चाहिए। इसके बाद सभी रिश्तेदारों ने एक राय होकर बेटी को ही अंतिम संस्कार के लिए आगे किया और उसे ढांढ़स बंधाया।

Amar Agrawal Archives – JoharCG