joharcg.com मध्य प्रदेश में पटवारियों की हड़ताल आखिरकार समाप्त हो गई। लंबे समय से चली आ रही हड़ताल के बाद पटवारी अब काम पर लौट आए हैं और अपनी सामान्य गतिविधियों की शुरुआत कर दी है। यह फैसला पटवारी संघ और राज्य सरकार के बीच हुए समझौते के बाद लिया गया है।
पटवारी संघ के नेता ने बताया कि उनकी मुख्य मांगों का समाधान राज्य सरकार द्वारा किए गए आश्वासन के बाद किया गया है, जिसमें वेतन वृद्धि, पदोन्नति की प्रक्रिया और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनी। इसके बाद संघ ने हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया।
हड़ताल के दौरान पटवारी काम पर नहीं जा रहे थे, जिससे राजस्व विभाग के कामों में देरी हो रही थी। नागरिकों को राजस्व संबंधित कार्यों में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। अब हड़ताल खत्म होने के बाद पटवारी अपने नियमित काम में जुट गए हैं और विभागीय कार्यों को पूरा करने में सहायता कर रहे हैं।
राज्य सरकार ने हड़ताल के दौरान पैदा हुई समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम उठाए हैं और यह भी सुनिश्चित किया है कि भविष्य में इस प्रकार की स्थिति पैदा न हो। पटवारी संघ के सदस्यों ने भी हड़ताल के दौरान राज्य के नागरिकों से सहयोग की अपील की थी और अब उन्होंने काम पर लौटकर सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया है।
इस घटनाक्रम ने यह साफ किया कि श्रमिक संघ और सरकार के बीच संवाद और समझौता हमेशा किसी भी समस्या का समाधान साबित हो सकता है, बशर्ते दोनों पक्षों के बीच सही तालमेल और बातचीत हो।
रायपुर। पटवारियों ने करीब 39 दिन से चल रही अपनी हड़ताल शुक्रवार को खत्म कर दी है। इंटरनेट, लैपटाप, कम्प्यूटर सहित अन्य संसाधन भत्ते की मांग को लेकर प्रदेश भर के करीब पांच हजार पटवारी सहित प्रदेशभर के करीब पांच हजार पटवारी 16 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थे। इसके कारण लोग नक्शा, खसरा, बटांकन और नामांतरण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए परेशान हो रहे थे।
अब जनता को हो रही परेशानी और ऑनलाइन आचार संहिता के चलते राजस्व पटवारी संघ छत्तीसगढ़ ने ऑनलाइन कामों के बहिष्कार का आंदोलन आज से स्थगित कर दिया है। उन्होंने राजस्व सचिव को पत्र लिखकर ऑनलाइन कार्यक्रम के बहिष्कार को स्थगित करने की सूचना दी है। इसकी प्रतिलिपि सभी कलेक्टरों को भी सौंपी गई है।
16 दिसंबर से प्रदेश भर के पटवारी ऑनलाइन कामों का बहिष्कार कर रहे थे। राजस्व पटवारी संघ छत्तीसगढ़ के बैनर तले उनका आंदोलन जारी था। पटवारियों का कहना था कि वे शासन के सॉफ्टवेयर में खुद के लैपटॉप व कम्प्यूटर से रिकॉर्ड अपडेट करते थे, लेकिन उन्हें संसाधन और भत्ता नहीं मिल रहा। उनकी मांग है कि उन्हें इसके लिए हर माह कम से कम 2 हजार रुपए का संसाधन भत्ता दिया जाए। मांगे पूरी न होने पर वे मैनुअल काम तो कर रहे थे,पर ऑनलाइन कामों का बहिष्कार भी कर रहे थे।
हड़ताल से लोगों का नामांतरण, बटांकन, खसरा, बी-वन, डिजिटल सिग्नेचर, धान बेचने के रकबे में सुधार जैसे कार्य प्रभावित हो रहे थे। लोग पटवारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं और पिछले 39 दिनों से पटवारी ऑनलाइन कार्यों का बहिष्कार कर रहे थे।
पटवारियों की हड़ताल के कारण धान के रकबे में सुधार भी नहीं हो पा रहा था। कई किसानों के रकबे में कमी आई है, जिसका सुधार नहीं किया जा रहा था। ऐसे में किसान कृषि विभाग और जिला सहकारी बैंक के दफ्तरों में चक्कर काटने को मजबूर थे, लेकिन ऑनलाइन काम का बहिष्कार होने के कारण उनके रकबे में सुधार नहीं हो पा रहा था। इसके अलावा कई किसानों का डिजिटल में नाम भी गायब था। ऑनलाइन कामों के बहिष्कार के चलते यह जुड़ नहीं पा रहा था। इसके कारण जिले के कई किसान धान बेचने से वंचित हो सकते थे।
राजस्व पटवारी संघ छत्तीसगढ़ ने स्थगित करने का लिया फैसला
राजस्व पटवारी संघ छत्तीसगढ़ ने ऑनलाइन कामों के बहिष्कार को स्थगित करने का निर्णय लिया है। संघ ने राजस्व सचिव को सौंपे पत्र में लिखा है कि ऑनलाइन कार्यों के संपादन के लिए साधन– संसाधन की मांग को लेकर राजस्व पटवारी संघ छत्तीसगढ़ के सभी पटवारी 16 दिसंबर से ऑनलाइन कार्यों का बहिष्कार किए हुए थे।
आम जनता के कामों को देखते हुए और आदर्श आचार संहिता के चलते ऑनलाइन कामों का बहिष्कार स्थगित किया जाता है। इसकी प्रतिलिपि सभी जिलों के कलेक्टर,संचालक भू– अभिलेख के अलावा राजस्व पटवारी संघ के सभी जिला अध्यक्षों को भी भेजी गई है। इस निर्णय से अब आम जनता और किसानों को काफी सहूलियत होगी।