joharcg.com स्वच्छता दीदीयां, जो एक प्रेरक और महत्वपूर्ण पहल के तहत काम कर रही हैं, लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रही हैं और उन्हें साफ-सफाई के महत्व को समझाने का प्रयास कर रही हैं। यह पहल न केवल स्थानीय समुदायों में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह लोगों को एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए भी प्रेरित कर रही है।
स्वच्छता दीदीयां का कहना है कि स्वच्छता केवल एक सरकारी पहल नहीं है, बल्कि यह हम सभी की जिम्मेदारी है। वे दिन-प्रतिदिन अपने समुदायों में सफाई अभियान चलाकर, लोगों को कचरा प्रबंधन, सार्वजनिक स्थलों की सफाई और पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूक कर रही हैं।
इस पहल के तहत स्वच्छता दीदीयां न केवल लोगों को जागरूक कर रही हैं, बल्कि उन्हें स्वच्छता की आदतें अपनाने के लिए प्रेरित भी कर रही हैं। इसके लिए वे घर-घर जाकर लोगों को स्वच्छता के महत्व के बारे में बताती हैं और उन्हें कचरा न फेंकने, शौचालय का उपयोग करने और साफ-सफाई बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
स्वच्छता दीदीयां का मानना है कि स्वच्छता एक ऐसी आदत है, जिसे हर व्यक्ति को अपनी जीवनशैली में शामिल करना चाहिए। उनका उद्देश्य न केवल गांवों और शहरों को साफ करना है, बल्कि पूरे समाज में एक जागरूकता पैदा करना है, ताकि स्वच्छता को लेकर समाज का दृष्टिकोण बदल सके।
स्वच्छता दीदीयां की मेहनत और समर्पण ने कई स्थानों पर सकारात्मक बदलाव लाया है और लोगों में स्वच्छता के प्रति नई जागरूकता उत्पन्न की है। यह पहल न केवल समुदायों के लिए एक वरदान साबित हो रही है, बल्कि यह एक उदाहरण भी प्रस्तुत कर रही है कि समाज में छोटे-छोटे बदलाव बड़े परिणाम ला सकते हैं।
रायपुर 18 जनवरी 2025/ स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से भारत को स्वच्छ और खुले में शौच से मुक्त बनाना है। यह अभियान स्वच्छता और स्वास्थ्य के महत्व पर जोर देता है। इसका उद्देश्य अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करना और सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता को बढ़ावा देना है। स्वच्छ भारत अभियान को पूरे राष्ट्र के लिए एक जन-आंदोलन का रूप दिया गया है। लोग न तो स्वयं गंदगी करें और न ही दूसरों को करने दें, इसके लिए स्वच्छता दीदियों द्वारा प्रेरित और प्रोत्साहित किया जा रहा है।
धमतरी जिले के नगर पंचायत कुरूद की स्वच्छता दीदियां अपशिष्ट पदार्थाे से आय अर्जित कर रही हैं। दीदियां एक साल से कचरा बेचकर 3 लाख 24 हजार रुपए की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त की है। अनुबंधित कम्पनी से अनुमानित 55 हजार रूपये आना शेष है। घर-घर कचरा कलेवशन से मिले सूखा कचरा से यह फायदा उन्हें मिला है।
गौरतलब है कि नगर पंचायत कुरूद के 15 वार्डों में एक एसएलआरएम सेंटर है, जिसमें करीब 24 स्वच्छता दीदियां काम कर रहीं है। हर दिन सुबह दीदियां डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए निकल पड़ती हैं। इसके बाद पुट्ठा, प्लास्टिक से बने सामान, टीना-लोहा से बनी सामग्रियों, शीशी-बोतल, न्यूज पेपर यानी घरों से निकलने वाले कचरा लेती हैं। इसके बाद इस कचरे को एसएलआरएम सेंटर लाया जाता है।
एसआरएलएम केंद्र में सुखे कचरों की छ्टनी की जाती हैं। इस छटनी में गीले कचरे से खाद बनाने का काम किया जाता है और सूखे कचरे को तोड़कर बड़ी-बड़ी बोरियों में पैक कर रख दिया जाता है। पुट्ठा को बेलिंग मशीन द्वारा बेल किया जाता है। इस सूखे कचरे को हर महीने स्वच्छता दीदीयों द्वारा संबंधित अनुबंधित फर्म को बेचा जाता हैं।
एक एसएलआरएम सेंटर में 30 हजार से 50 हजार रुपए तक का सूखा कचरा हर माह बेचा जाता है। यह पैसा समूह के खाते में आता है, जिसके बाद दीदियां इस राशि को आपस में बांट लेती हैं। इस प्रकार हर महीने मानदेय के अतिरिक्त एक हजार 500 से दो हजार रूप्ये अतिरिक्त लाभ दीदियां अर्जित कर रहीं हैं।
लोगों के स्वास्थ्य में हो रहा सुधार
दुलारी बाई लहरे और भारती कुर्रे ने कहा कि सबसे बड़ी और सबसे सफल सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल में से एक स्वच्छ भारत अभियान पिछले 10 साल से चल रहा है। स्वच्छ भारत अभियान ने लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। इससे न केवल गांव अपितु शहरों में भी स्वच्छता में क्रांति आने सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो रहा है। लाखों शौचालय उपलब्ध कराकर, शिशु मृत्यु दर को कम करके और महिलाओं की सुरक्षा में सुधार होने से इस अभियान ने लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है।
स्वच्छता दीदी बिन्दा बघेल, उमा बंजारे और ममता बारले ने कहा कि इस अभियान ने खुले में शौच को खत्म कर, हर घर में शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराया है। ठोस और तरल अपशिष्टों का प्रबंधन, पेयजल की पर्याप्त और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित होनें, सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार, जलजनित रोगों के खतरे को कम करने एवं स्वच्छता और स्वास्थ्य से जुड़ी कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है।