गोल्डन बाबा

joharcg.com इन दिनों एक शख्स अपनी अद्भुत और अनोखी पहचान के लिए सुर्खियों में है। यह शख्स हैं 67 साल के ‘गोल्डन बाबा’, जो 6 करोड़ रुपये का सोना पहनकर चलते हैं। उनका पहनावा इतना भव्य और आकर्षक है कि कोई भी उन्हें देखे बिना रह नहीं सकता। इन बाबा का हर पहनावा सोने से बना होता है, चाहे वो उनके गहनों की बात हो या उनके कपड़े, सब कुछ सोने से सजा हुआ है।

‘गोल्डन बाबा’ का नाम अब हर किसी की जुबान पर है। उनके पहनावे में सोने की चूड़ियाँ, कड़े, अंगूठियाँ, हार, चश्मे और यहां तक कि उनके कपड़े भी सोने से बनाए गए हैं। वे हर दिन लगभग 6 किलो सोना पहनते हैं, जिनकी कीमत लगभग 6 करोड़ रुपये है। बाबा का कहना है कि यह सोना उन्हें उनके भक्तों से प्राप्त हुआ है, और वह इसे अपनी श्रद्धा और आस्था का प्रतीक मानते हैं।

बाबा का यह अनोखा और भव्य पहनावा लोगों को हैरान कर देता है। वह जो भी जगह जाते हैं, उनकी उपस्थिति आकर्षण का केंद्र बन जाती है। उनके बारे में कहा जाता है कि वह अपनी दिव्य शक्ति और आस्था के साथ समाज में लोगों को सही मार्ग दिखाते हैं।

यह सोने से लदी हुई जिंदगी उनके लिए सिर्फ एक दिखावा नहीं है, बल्कि उनका मानना है कि सोना उनके आस्थावान जीवन और उनके भक्तों के प्रति सम्मान का प्रतीक है। हालांकि, कुछ लोग उनकी इस जीवनशैली पर सवाल भी उठाते हैं, लेकिन बाबा का कहना है कि वह इसे अपने जीवन का हिस्सा मानते हैं और इस पहनावे से उन्हें कोई परेशानी नहीं होती।

‘गोल्डन बाबा’ का जीवन अब चर्चा का विषय बन चुका है, और वे अपने अनोखे अंदाज में समाज के बीच अपने विश्वास और आदर्शों को फैलाने का काम कर रहे हैं।

संगम नगरी प्रयागराज के महाकुंभ में साधु-संतों के कई अद्भुत स्वरूप देखने को मिल रहे हैं. इनके बीच जो बाबा श्रद्धालुओं का ध्यान खींच रहे हैं, वह हैं गोल्डन बाबा. उनका नाम एसके नारायण गिरी जी महाराज है, जो मूल रूप से केरल के रहने वाले हैं. फिलहाल वे दिल्ली में निवास करते हैं. निरंजनी अखाड़े से जुड़े यह बाबा अपने अनोखे अंदाज और सोने से सजे व्यक्तित्व के कारण कुंभ में चर्चा का विषय बने हुए हैं.

गोल्डन बाबा लगभग 4 किलो सोना पहनकर चलते हैं, जिसकी कीमत करीब 6 करोड़ रुपये आंकी गई है. बाबा के हर गहने में अलग ही चमक है. सोने की अंगूठियां, कंगन, घड़ी और यहां तक कि उनके हाथों में सोने की छड़ी भी है. छड़ी पर देवी-देवताओं के लॉकेट लगे हुए हैं, जो उनकी साधना का प्रतीक हैं. बाबा कहते हैं कि यह सोना साधना से जुड़ा हुआ है, और हर गहने में आध्यात्मिक शक्ति है.

67 साल के गोल्डन बाबा ने अखाड़े के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज से दीक्षा ली थी और निरंजनी अखाड़े में शामिल हुए. बाबा शिक्षा के क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि धर्म और शिक्षा दोनों को साथ लेकर चलने से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है.

बाबा जहां भी जाते हैं, उनमें आस्था रखने वालों की भीड़ उमड़ पड़ती है. श्रद्धालु उन्हें गोल्डन बाबा कहते हैं. बाबा कहते हैं कि मुझे इस बात से कोई परहेज नहीं है. बाबा के पास सोने के 6 लॉकेट हैं, जिनसे करीब 20 मालाएं बन सकती हैं. उनका मोबाइल भी सोने की परत में ढका हुआ है.

बाबा का कहना है कि उनकी हर चीज साधना से जुड़ी हुई है. उनका यह सोने से सजा रूप दिखावे के लिए नहीं है, बल्कि यह उनके आध्यात्मिक जीवन और उनके गुरु के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है. बाबा का व्यक्तित्व कुंभ मेले में एक अलग ही छवि वाला है, जो लोगों को मुग्ध कर देता है. गोल्डन बाबा अध्यात्म और भक्ति का संदेश देते हैं.

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