joharcg.com प्रत्येक बार महाकुंभ का आयोजन देशभर में एक खास धूमधाम से होता है, और इस बार छत्तीसगढ़ का पैवेलियन लोगों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन चुका है। हर साल महाकुंभ के दौरान अलग-अलग राज्यों के पैवेलियन अपनी संस्कृति, कला और पारंपरिक धरोहरों का प्रदर्शन करते हैं, लेकिन इस बार छत्तीसगढ़ का पैवेलियन खास तौर पर दर्शकों को आकर्षित कर रहा है।
पैवेलियन में छत्तीसगढ़ की अद्वितीय कला, संस्कृति, और पारंपरिक वस्त्रों की झलक देखने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। यहाँ पर विभिन्न हस्तशिल्प, लोक कला, संगीत, और लोक नृत्य प्रस्तुत किए जा रहे हैं, जो दर्शकों को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर से अवगत करा रहे हैं। इसके अलावा, वहां छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध व्यंजन और हस्तशिल्प उत्पाद भी प्रदर्शित किए गए हैं, जो पर्यटकों के बीच खासा आकर्षण पैदा कर रहे हैं।
इस पैवेलियन में एक ओर खास बात यह है कि यहां पर छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध शिल्पकला के सामान और आदिवासी कला को प्रदर्शित किया गया है, जो लोगों को संस्कृति और परंपरा से जोड़ने का काम कर रहा है। राज्य के हस्तशिल्प और लोक कला को यहां एक अलग ही मंच मिला है, जिससे अन्य राज्य के लोग भी इसकी महिमा और महत्व को समझ पा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ का यह पैवेलियन महाकुंभ के आयोजन में राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने के साथ-साथ राज्य के पर्यटन और हस्तशिल्प को भी एक नई पहचान दे रहा है। हर दिन यहां बड़ी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, जो राज्य की सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि से परिचित हो रहे हैं।
महाकुंभ में छत्तीसगढ़ का पैवेलियन न केवल राज्य की पहचान को बढ़ा रहा है, बल्कि यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
रायपुर। प्रयागराज के सेक्टर-छह महाकुंभ में लक्ष्मीद्वार के पास भारत सरकार के कलाग्राम के सामने छत्तीसगढ़ पैवेलियन स्थित है। इसके प्रवेश द्वार को छत्तीसगढ़ की पहचान गौर मुकुट का रूप दिया गया है, जो दूर से ही श्रद्धालुओं को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। प्रवेश द्वार पर ही भारत के नियाग्रा कहे जाने वाले बस्तर के चित्रकोट जलप्रपात की तस्वीर लगी है। पैवेलियन के भीतर प्रवेश करते ही छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा स्थापित है।
प्रवेश द्वार के दाहिनी तरफ राज्य की चार ईष्ट देवियां मां महामाया, मां चंद्रहासिनी, मां दंतेश्वरी और मां बम्लेश्वरी की फोटो और उनकी जानकारी दी गई है। पैवेलियन के भीतर प्रवेश करते ही बायीं तरफ छत्तीसगढ़ के जीवंत ग्रामीण परिवेश को दिखाया गया है। यहां पर परंपरागत ग्रामीण जीवन के साथ ही आदिवासी कला, संस्कृति, आभूषण, वस्त्र समेत एक संपूर्ण गांव का चित्रण किया गया है।
बस्तर का ढोकरा शिल्प, राजकीय पशु पक्षी भी दर्शाया
राज्य के प्रदर्शनी में प्रवेश करने के पहले बस्तर के ढोकरा शिल्प और राजकीय पशु व पक्षी को दर्शाया गया है। प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं विशेषतर मोर आवास मोर अधिकार, 3100 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदी योजना की जानकारी दर्शाई गई है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक विरासत के रूप में सिरपुर और जैतखाम की प्रतिकृति को निर्मित किया गया है।
स्थानीय लोग और देश भर से आए श्रद्धालु राज्य को ज्यादा से ज्यादा करीब से जान पाएं, इसके लिए वर्चुअल रियेलिटी हेडसेट और डोम के भीतर 180 डिग्री वीडियो के माध्यम से शासन की योजनाओं और छत्तीसगढ़ राज्य की जानकारी साझा की जा रही है। इन तकनीकों के जरिए छत्तीसगढ़ को जानने के लिए स्थानीय लोगों में जबरदस्त उत्साह है। लोग लंबी लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार करते हुए नजर आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और यहां का गौरवशाली इतिहास हर किसी को प्रेरित करता है।
छत्तीसगढ़ को जानने के लिए देश में हर कोई बेताब रहता है। इसकी बड़ी झलक प्रयागराज महाकुंभ के दौरान छत्तीसगढ़ पैवेलियन में देखने को मिल रही है। इसे देखकर कहा जा सकता है मानो उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मानो एक छोटा सा छत्तीसगढ़ ही बसा हुआ है।