joharcg.com छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव के निवासी शोभितराम की किस्मत तब बदल गई जब उन्हें सरकार द्वारा पट्टे की भूमि मिली। पहले गरीब और संघर्षशील जीवन जी रहे शोभितराम के लिए यह एक नया मोड़ था, जिसने उसकी जीवनशैली को पूरी तरह से बदल दिया।
शोभितराम का परिवार पहले कृषि कार्य के लिए दूसरों की भूमि पर मजदूरी करता था, और जीवन बहुत कठिन था। लेकिन जब गांव के पंचायती अधिकारियों ने उसे 2 एकड़ पट्टे की भूमि दी, तो उसने इसका सही इस्तेमाल करना शुरू किया।
शोभितराम ने इस भूमि पर खेती शुरू की, और तकनीकी और विज्ञान आधारित कृषि पद्धतियों को अपनाया। इसके परिणामस्वरूप, उसकी उपज में भारी वृद्धि हुई। पहले जहां वह सिर्फ पारिवारिक जरूरतें पूरी करता था, वहीं अब वह स्थानीय बाजार में अपनी फसलें बेचकर अच्छी कमाई करने लगा।
आज, शोभितराम न केवल अपने परिवार के लिए एक बेहतर जीवन सुनिश्चित करने में सक्षम है, बल्कि वह अपनी सफलता को दूसरों के साथ भी साझा कर रहा है। उसने गाँव के अन्य किसानों को भी उन्नत कृषि तकनीकें सिखाईं, और इसके कारण उसके गांव की आर्थिक स्थिति भी सुधरी।
इसकी कहानी यह दिखाती है कि यदि सही अवसर मिले, तो किसी की किस्मत पूरी तरह बदल सकती है। पट्टे की भूमि ने शोभितराम के जीवन को एक नई दिशा दी, और अब वह अपने प्रयासों से एक समृद्ध और खुशहाल जीवन जी रहा है।
रायपुर 09 जनवरी 2025/ छत्तीसगढ़ सरकार की वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टे पर मिली भूमि से महासमुंद जिले के ग्राम बैहाडीह निवासी शोभितराम बरिहा के जीवन में बदलाव दिखाई देने लगा है। बिंझवार जाति से ताल्लुक रखने वाले श्री बरिहा वर्षों तक अपने कब्जे की जमीन पर खेती करते रहे, लेकिन वर्षा पर निर्भरता और संसाधनों की कमी के चलते बेहतर फसल उत्पादन न कर पाना और अपनी मेहनत से उपजायी फसल को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर थे। उनकी सालाना आय मुश्किल से 25-30 हजार रुपये तक सीमित थी।
लेकिन वन अधिकार अधिनियम के तहत काबिज भूमि का पट्टा मिलने के बाद उनकी जिंदगी ने नई दिशा ली। पट्टा मिलने के बाद शोभितराम ने जमीन का शासन की मनरेगा योजना के तहत सुधार और समतलीकरण हुआ, जिससे उनकी खेती अधिक उत्पादक हो गई। अब वे अपनी उपज को सरकारी धान उपार्जन केंद्रों समर्थन मूल्य पर बेचने के साथ ही शासन की ओर से मिलने वाली आदान सहायता का लाभ भी पाने लगे हैं। उनकी वार्षिक आय अब 60-70 हजार रुपये तक पहुंच गई है, जो पहले की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है।
वन अधिकार पट्टा ने शोभितराम को आधुनिक कृषि तकनीक अपनाने का रास्ता दिखाया। ट्यूबवेल लगाकर उन्होंने सिंचाई की सुविधा सृजित की, जिससे अब वे साल में दोहरी फसल उपजा पा रहे हैं। ग्रीष्मकाल में गेहूं, सूरजमुखी और सब्जियों की खेती ने उनकी आय को और बढ़ा दिया। आर्थिक स्थिति सुधरने से उन्होंने अपने परिवार के लिए एक पक्का मकान बनवाया। इतना ही नहीं, उन्होंने एक नया ट्रैक्टर भी खरीदा, जो उनके कृषि कार्यों में सहायक होने के साथ-साथ किराये पर देकर आय का अतिरिक्त स्रोत बन गया है।
वन अधिकार पट्टा मिलने से जीवन में आयी निश्चितता और स्थिरता ने न केवल शोभितराम की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया। उनके परिवार में अब खुशहाली है और वे अपने भविष्य को लेकर अधिक आशावान हैं।
शोभितराम कहते हैं, वन अधिकार पट्टा मिलने के बाद मैंने अपनी जमीन पर पूरी तरह से मेहनत की। सरकार की योजनाओं और तकनीकी मदद से अब मुझे खेती से अच्छी आय हो रही है। इससे मैं अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने और अपने परिवार का जीवन बेहतर बनाने में सक्षम हुआ हूं। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल ग्रामीण समुदाय के जीवन में स्थिरता, आर्थिक सुधार और सामाजिक प्रतिष्ठा का आधार बन रही है।