joharcg.com छत्तीसगढ़ में एक अजीब और चौंकाने वाली घटना घटी, जब एक एंबुलेंस मृत व्यक्ति को अंतिम संस्कार के लिए ले जा रही थी। इस दौरान, रास्ते में एक स्पीड ब्रेकर पर एंबुलेंस उछल गई, और जैसे ही वाहन ने झटका खाया, कुछ ऐसा हुआ जिसे देख कर लोग हैरान रह गए।
कहा जाता है कि मृत्यु के बाद शरीर में कुछ समय तक हलचल होती है, लेकिन इस घटना ने उन सब मान्यताओं को भी चौंका दिया। जैसे ही एंबुलेंस ने स्पीड ब्रेकर पर झटका खाया, मृत व्यक्ति का शरीर अचानक से हिलने लगा, जिससे उपस्थित लोग घबरा गए और कुछ समय के लिए घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई।
यह घटना उस समय घटी जब एंबुलेंस एक गांव से श्मशान घाट की ओर जा रही थी। एंबुलेंस ड्राइवर और उसके साथ मौजूद लोग इस अप्रत्याशित घटना को देखकर आश्चर्यचकित रह गए। हालांकि, यह सब कुछ केवल एक सामान्य शरीर की प्रतिक्रिया हो सकती थी, लेकिन इसने देखने वालों को एक चौंकाने वाला अनुभव प्रदान किया।
इस घटना को लेकर स्थानीय लोग तरह-तरह की अटकलें लगा रहे हैं, और कुछ इसे एक अद्भुत और विचित्र घटनाक्रम मान रहे हैं। हालांकि, चिकित्सकों का कहना है कि जब शरीर में अंतिम चरण में ऊर्जा का संचार रहता है, तो कभी-कभी हलचल हो सकती है, लेकिन यह सिर्फ शारीरिक प्रतिक्रियाएँ होती हैं।
यह घटना न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन गई है, जहां लोग इसे लेकर अपने विचार साझा कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के कोल्हापुर से एक ‘चमत्कारिक घटना’ सामने आई है. हुआ यूं कि 65 साल के एक बुजुर्ग पांडुरंग उल्पे की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. अस्पताल में डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था. घरवाले बुजुर्ग के शव को एंबुलेंस के जरिए घर ला रहे थे ताकि अंतिम क्रिया कर्म के बाद श्मशान घाट ले जाएं. इसी बीच रास्ते एंबुलेंस एक स्पीड ब्रेकर से गुजरी तो शव समेत एंबुलेंस में बैठे लोगों को झटका लगा और देखा कि मृत घोषित बुजुर्ग पांडुरंग की सांसें अचानक चलने लगीं.
कुल मिलाकर कहें तो 65 वर्षीय पांडुरंग उल्पे के लिए सड़क पर बना एक स्पीड ब्रेकर जीवन रक्षक साबित हुआ. जब अस्पताल से पांडुरंग का ‘शव’ ले जा रही एक एंबुलेंस ने ब्रेकर को पार किया और परिवार ने देखा कि बुजुर्ग की उंगलियां हिल रही हैं.
16 दिसंबर को दिन में पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के कसाबा-बावड़ा के निवासी उल्पे को दिल का दौरा पड़ा था और उन्हें एक प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था.
फिर एक एंबुलेंस ने उनके ‘शव’ को अस्पताल से उनके घर तक पहुंचाया जा रहा था, जहां उनके निधन की खबर सुनकर पड़ोसी और रिश्तेदार इकट्ठा हुए थे और उनके अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे. इसी बीच पांडुरंग ‘जिंदा’ हो गए.
पांडुरंग उल्पे की पत्नी ने कहा, जब हम उनके ‘शव’ को अस्पताल से घर ला रहे थे, तो एंबुलेंस एक स्पीड ब्रेकर से गुज़री और हमने देखा कि उनकी उंगलियां हिल रही थीं. फिर उन्हें वापस दूसरे अस्पताल ले जाया गया, जहां वे करीब 15 दिन तक रहे और इस दौरान उनकी एंजियोप्लास्टी हुई. उल्पे सोमवार को अस्पताल से पैदल घर लौटे.
16 दिसंबर की घटनाओं का क्रम बताते हुए वारकरी (भगवान विट्ठल के भक्त) उल्पे ने कहा, ”मैं सैर से घर आया था और चाय पीकर बैठा था. मुझे चक्कर आ रहा था और सांस फूल रही थी. मैं बाथरूम गया और उल्टी कर दी. मुझे याद नहीं है कि उसके बाद क्या हुआ, और मुझे अस्पताल कौन ले गया.” वहीं, अभी तक उस अस्पताल की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई है जिसने पांडुरंग उल्पे को मृत घोषित कर दिया था. हर कोई एक खबर को सुनकर हैरानी हो रहा है.