कृषि और ग्रामीण

joharcg.com उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास के बिना किसी भी राष्ट्र का समग्र विकास और समृद्धि संभव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ये दो प्रमुख क्षेत्र राष्ट्र की आर्थ‍िक मजबूती के आधार हैं और इनकी उपेक्षा करके कोई भी राष्ट्र अपनी विकास यात्रा को पूरी तरह से आगे नहीं बढ़ा सकता।

धनखड़ ने अपने संबोधन में कहा, “कृषि न केवल हमारे देश की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है, बल्कि यह करोड़ों किसानों के जीवन का आधार भी है। अगर हम कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार करते हैं, तो हम न केवल किसानों की मदद करेंगे, बल्कि पूरे राष्ट्र की समृद्धि को बढ़ावा देंगे।”

उन्होंने यह भी बताया कि ग्रामीण विकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करता है और समाज में समानता लाने में मदद करता है। उपराष्ट्रपति ने सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में की जा रही योजनाओं की सराहना की और कहा कि ये योजनाएं गांवों की बुनियादी सुविधाओं में सुधार लाने में मददगार साबित हो रही हैं।

धनखड़ ने कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास के बिना, हम विकसित राष्ट्र की कल्पना नहीं कर सकते। इन दोनों क्षेत्रों में सुधार के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सरकारी नीतियों और योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार के प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बदलाव आएगा और देश एक समृद्ध और विकसित राष्ट्र बनेगा।

धनखड़ का यह बयान भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के महत्व को रेखांकित करता है और यह दर्शाता है कि अगर इन क्षेत्रों पर सही तरीके से ध्यान दिया जाए, तो राष्ट्र की समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि ग्रामीण भारत और कृषि विकास के बिना विकसित राष्ट्र का स्वप्न पूरा करना संभव नहीं है। श्री धनखड़ ने उप राष्ट्रपति भवन में चौधरी चरण सिंह पुरस्कार 2024 समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि ग्रामीण विकास की रीढ़ है। जब तक कृषि का विकास नहीं होगा, ग्रामीण परिदृश्य नहीं बदल सकता और जब तक ग्रामीण परिदृश्य नहीं बदलेगा, हम विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा नहीं रख सकते।

देश की आर्थिक प्रगति पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस समय भारत पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। निस्संदेह, हमारी अर्थव्यवस्था फल-फूल रही है। हम वैश्विक स्तर पर पांचवें सबसे बड़े देश हैं और जापान और जर्मनी से आगे निकलकर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर हैं लेकिन वर्ष 2047 तक विकसित देश बनने के लिए हमारी आय में आठ गुना वृद्धि होनी चाहिए जो एक बड़ी चुनौती है।

श्री धनखड़ ने गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि गांव की अर्थव्यवस्था तभी बेहतर हो सकती है, जब किसान और उनका परिवार विपणन, मूल्य संवर्धन और हर जगह उद्योग संकुल बनाने में शामिल हो, जिससे आत्मनिर्भरता आए। हमारे पास सबसे बड़ा कृषि उपज बाजार है, फिर भी कृषक समुदाय इससे शायद ही जुड़े हों। कृषि क्षेत्र को सरकारों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि यह आर्थिक विकास का इंजन बन सके।

उपराष्ट्रपति ने लोकतंत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति और संवाद लोकतंत्र को परिभाषित करते हैं। एक राष्ट्र कितना लोकतांत्रिक है, यह उसके व्यक्तियों और संगठनों की अभिव्यक्ति की स्थिति से परिभाषित होता है।

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