joharcg.com छत्तीसगढ़ ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। राज्य के कोरबा जिले में स्थित कन्हा-पेंच कॉरिडोर को अब देश का 56वां टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया है। यह कदम न केवल राज्य के वन्यजीव संरक्षण को मजबूती प्रदान करेगा, बल्कि देशभर में बाघों की संख्या को बढ़ाने और उनके आवास को सुरक्षित रखने की दिशा में भी एक बड़ा योगदान साबित होगा।
कन्हा-पेंच कॉरिडोर, जो कि कन्हा और पेंच टाइगर रिजर्व को जोड़ता है, बाघों के लिए एक महत्त्वपूर्ण अभयारण्य है। यह क्षेत्र पहले से ही विभिन्न वन्यजीवों की अद्वितीय प्रजातियों का घर है, जिसमें बाघ, तेंदुआ, हाथी, और अन्य असंख्य वन्य जीव शामिल हैं। इस नए टाइगर रिजर्व के अधिसूचना से बाघों के संरक्षण के प्रयासों को और बल मिलेगा।
कन्हा-पेंच कॉरिडोर का टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित होना राज्य सरकार की वन्यजीव संरक्षण नीति के तहत एक महत्वपूर्ण कदम है। यह रिजर्व बाघों के संरक्षण में सहायक होगा, क्योंकि यह दोनों रिजर्व को जोड़ने वाला एक प्रभावी कॉरिडोर प्रदान करेगा, जो बाघों को अपने प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रूप से यात्रा करने का अवसर देगा। इससे बाघों की जीन पूल विविधता में भी सुधार होगा, जो उनकी स्थायिता और प्रजनन क्षमता के लिए महत्वपूर्ण है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और छत्तीसगढ़ सरकार के साथ मिलकर इस रिजर्व को अधिसूचित किया गया है। यह राज्य में बाघों की संख्या को बढ़ाने और उनके आवासों को संरक्षित रखने की दिशा में सरकार के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। अब यह टाइगर रिजर्व न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बनेगा, बल्कि राज्य और देशभर में पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस कदम से वन्यजीवों की सुरक्षा को बल मिलेगा और बाघों के प्राकृतिक आवास को बनाए रखने में मदद मिलेगी। साथ ही, यह क्षेत्र आने वाले समय में वन्यजीवों के अध्ययन और संरक्षण के लिए एक प्रमुख केंद्र बन सकता है।
यह एक महत्वपूर्ण पहल है, जो छत्तीसगढ़ के वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को और अधिक सशक्त बनाएगी।
नई दिल्ली 19 नवंबर 2024। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व को देश के 56वें टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किए जाने की जानकारी राष्ट्र को दी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में मंत्री ने कहा, “भारत बाघ संरक्षण में नए मील के पत्थर स्थापित कर रहा है, इसी क्रम में हमने छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास-तमोर पिंगला को 56वें टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया है। गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व 2,829 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।”
छत्तीसगढ़ सरकार ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की सलाह पर छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, कोरिया, सूरजपुर और बलरामपुर जिलों में गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व को अधिसूचित किया। कुल 2829.38 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस बाघ अभयारण्य में 2049.2 वर्ग किलोमीटर का कोर/ क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट शामिल है,
जिसमें गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं, और इसका बफर क्षेत्र 780.15 वर्ग किलोमीटर का है। यह इसे आंध्र प्रदेश के नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और असम के मानस टाइगर रिजर्व के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बनाता है। गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व देश में अधिसूचित होने वाला 56वां टाइगर रिजर्व बन गया है।
भारत की राष्ट्रीय वन्यजीव योजना में परिकल्पित संरक्षण के लिए परिदृश्य दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, नव अधिसूचित बाघ अभयारण्य मध्य प्रदेश में संजय दुबरी बाघ अभयारण्य से सटा हुआ है, जो लगभग 4500 वर्ग किलोमीटर का परिदृश्य परिसर बनाता है। इसके अलावा, यह अभयारण्य पश्चिम में मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य और पूर्व में झारखंड के पलामू बाघ अभयारण्य से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने अक्टूबर, 2021 में गुरु घासीदास-तमोर पिंगला बाघ अभयारण्य को अधिसूचित करने के लिए अंतिम मंजूरी दी थी।
छोटा नागपुर पठार और आंशिक रूप से बघेलखंड पठार में स्थित यह बाघ अभयारण्य विविध भूभागों, घने जंगलों, नदियों और झरनों से समृद्ध है, जो समृद्ध जीव विविधता के लिए अनुकूल हैं और इसमें बाघों के लिए महत्वपूर्ण आवास मौजूद हैं।
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण द्वारा गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व से 365 अकशेरुकी और 388 कशेरुकी सहित कुल 753 प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया गया है। अकशेरुकी जीवों का प्रतिनिधित्व ज्यादातर कीट वर्ग द्वारा किया जाता है। कशेरुकी जीवों में पक्षियों की 230 प्रजातियाँ और स्तनधारियों की 55 प्रजातियाँ शामिल हैं, जिनमें दोनों समूहों की कई संकटग्रस्त प्रजातियाँ शामिल हैं। इस अधिसूचना के साथ, छत्तीसगढ़ में अब 4 बाघ रिजर्व हो गए हैं, जिससे प्रोजेक्ट टाइगर के तहत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से मिल रही तकनीकी और वित्तीय सहायता से इस प्रजाति के संरक्षण को मजबूती मिलेगी।