joharcg.com छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास-तमोर पिंगला वन क्षेत्र को देश का 56वां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। यह ऐतिहासिक निर्णय राज्य के वन विभाग और केंद्रीय वन मंत्रालय के प्रयासों से संभव हो सका। अब यह रिजर्व क्षेत्र बाघों की सुरक्षा और उनके संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बनेगा, जो न केवल बाघों की बढ़ती संख्या की दिशा में योगदान करेगा, बल्कि क्षेत्रीय जैव विविधता को भी संरक्षित रखेगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस निर्णय से राज्य में वन्यजीवों के संरक्षण को बल मिलेगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ का यह टाइगर रिजर्व राज्य के लिए गर्व का क्षण है और यह राज्य के पर्यावरणीय धरोहर को और मजबूत करेगा।
गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल लगभग 1,100 वर्ग किलोमीटर है और यह छत्तीसगढ़ के सूरजपुर, जांजगीर-चांपा और कोरबा जिलों में फैला हुआ है। यह रिजर्व बाघों के अलावा अन्य वन्य जीवों, पक्षियों और पौधों की प्रजातियों के लिए भी महत्वपूर्ण है। यहाँ की हरियाली, जलवायु और संरक्षित वन्यजीवों की विविधता इसे पर्यटकों के लिए आकर्षक बना देती है।
इस नए टाइगर रिजर्व के रूप में क्षेत्र में बाघों की संख्या में वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है, और साथ ही इस क्षेत्र में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। इसके अलावा, यह रिजर्व स्थानीय समुदायों के लिए भी रोजगार सृजन का अवसर प्रदान करेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।
राज्य सरकार ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह छत्तीसगढ़ की वन्यजीव संरक्षण नीति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम न केवल बाघों की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र के पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में मदद करेगा।
सभी के प्रयासों और सहयोग से गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व का यह कदम छत्तीसगढ़ और पूरे देश के लिए एक नई उम्मीद और दिशा का प्रतीक बनेगा।
रायपुर 19 नवंबर 2024/ छत्तीसगढ़ को बाघों के संरक्षण और संवर्धन के लिए ‘गुरू घासीदास-तमोर पिंगला टायगर रिजर्व‘ के रूप में एक नया टायगर रिजर्व मिल गया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने इस महत्वपूर्ण घोषणा के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय वन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव को धन्यवाद दिया है। यह टायगर रिजर्व देश का 56वां टायगर रिजर्व होगा। गुरू घासीदास-तमोर पिंगला टायगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 2829.387 वर्ग किलोमीटर होगा। इनमें आरक्षित वन 1254.586 वर्ग किलोमीटर, संरक्षित वन 1438.451 वर्ग किलोमीटर तथा राजस्व क्षेत्र 136.35 वर्ग किलोमीटर शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व को देश के 56वें टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किए जाने की जानकारी राष्ट्र को दी है। उन्होंने कहा कि भारत बाघ संरक्षण में नए मील के पत्थर स्थापित कर रहा है, इसी क्रम में हमने छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास-तमोर पिंगला को 56वें टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया है। गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व 2,829 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की सलाह पर छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, कोरिया, सूरजपुर और बलरामपुर जिलों में गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व को अधिसूचित किया।
कुल 2829.38 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस बाघ अभयारण्य में 2049.2 वर्ग किलोमीटर का कोर/ क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट शामिल है, जिसमें गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं, और इसका बफर क्षेत्र 780.15 वर्ग किलोमीटर का है। यह इसे आंध्र प्रदेश के नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और असम के मानस टाइगर रिजर्व के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बनाता है। गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व देश में अधिसूचित होने वाला 56वां टाइगर रिजर्व बन गया है।
भारत की राष्ट्रीय वन्यजीव योजना में परिकल्पित संरक्षण के लिए परिदृश्य दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, नव अधिसूचित बाघ अभयारण्य मध्य प्रदेश में संजय दुबरी बाघ अभयारण्य से सटा हुआ है, जो लगभग 4500 वर्ग किलोमीटर का परिदृश्य परिसर बनाता है। इसके अलावा, यह अभयारण्य पश्चिम में मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य और पूर्व में झारखंड के पलामू बाघ अभयारण्य से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने अक्टूबर, 2021 में गुरु घासीदास-तमोर पिंगला बाघ अभयारण्य को अधिसूचित करने के लिए अंतिम मंजूरी दी थी।
छोटा नागपुर पठार और आंशिक रूप से बघेलखंड पठार में स्थित यह बाघ अभयारण्य विविध भूभागों, घने जंगलों, नदियों और झरनों से समृद्ध है, जो समृद्ध जीव विविधता के लिए अनुकूल हैं और इसमें बाघों के लिए महत्वपूर्ण आवास मौजूद हैं।
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण द्वारा गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व से 365 अकशेरुकी और 388 कशेरुकी सहित कुल 753 प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया गया है। अकशेरुकी जीवों का प्रतिनिधित्व ज्यादातर कीट वर्ग द्वारा किया जाता है। कशेरुकी जीवों में पक्षियों की 230 प्रजातियाँ और स्तनधारियों की 55 प्रजातियाँ शामिल हैं, जिनमें दोनों समूहों की कई संकटग्रस्त प्रजातियाँ शामिल हैं। इस अधिसूचना के साथ, छत्तीसगढ़ में अब 4 बाघ रिजर्व हो गए हैं, जिससे प्रोजेक्ट टाइगर के तहत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से मिल रही तकनीकी और वित्तीय सहायता से इस प्रजाति के संरक्षण को मजबूती मिलेगी।