joharcg.com नई दिल्ली: भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 2024 में भारत की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह ऐतिहासिक परीक्षण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रक्षा उपलब्धि है, जिससे भारतीय सेना की शक्ति और आत्मनिर्भरता में वृद्धि होगी। यह मिसाइल एक अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित है, जो ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक गति (मच 5) से भी अधिक यात्रा करने में सक्षम है।
हाइपरसोनिक मिसाइल का महत्व
हाइपरसोनिक मिसाइलें अत्यधिक गति और दूरी के साथ दुश्मन के रक्षा तंत्र को चुनौती देने में सक्षम होती हैं। इन मिसाइलों की खासियत यह है कि वे बेहद उच्च गति से यात्रा करती हैं, जिससे उन्हें रोकना या नष्ट करना बेहद मुश्किल होता है। डीआरडीओ का यह परीक्षण भारतीय रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा कदम है और यह भारत की रक्षा क्षमता को और मजबूत करेगा।
डीआरडीओ की सफलता
डीआरडीओ के अधिकारियों ने बताया कि यह परीक्षण पूरी तरह से सफल रहा और सभी मानक पूरी तरह से पास कर लिए गए। इस मिसाइल के परीक्षण ने भारत को एक नई रणनीतिक शक्ति दी है, जो रक्षा के मोर्चे पर उसे और अधिक सक्षम बनाएगी। इसके साथ ही, भारत ने हाइपरसोनिक तकनीक में अपनी विशेषज्ञता और आत्मनिर्भरता को भी साबित किया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर
यह परीक्षण भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। हाइपरसोनिक मिसाइलों का विकास भारत को एक आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता प्रदान करेगा और साथ ही यह किसी भी संभावित खतरे का त्वरित और सटीक जवाब देने में सक्षम बनाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की मिसाइलों का उपयोग सैन्य संचालन के दौरान दुश्मन की रक्षा प्रणाली को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है।
डीआरडीओ के अधिकारियों ने कहा कि इस सफल परीक्षण के बाद, मिसाइल प्रणाली को और अधिक उन्नत किया जाएगा और इसे भारतीय सशस्त्र बलों के बेड़े में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी के और विकास के लिए सरकार द्वारा अतिरिक्त प्रयास किए जाएंगे, ताकि भविष्य में और अधिक शक्तिशाली और सटीक मिसाइलों का निर्माण किया जा सके।
भारत की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण देश की रक्षा क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। यह रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता और तकनीकी क्षमता का एक प्रमुख उदाहरण है, और आने वाले समय में यह मिसाइल भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित होगी।
नई दिल्ली 18 नवंबर 2024। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 16 नवंबर, 2024 की देर रात ओडिशा के तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से भारत की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल की उड़ान का सफल परीक्षण किया। इस हाइपरसोनिक मिसाइल को सशस्त्र बलों के लिए 1,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक विभिन्न विस्फोटक सामग्री ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
इस मिसाइल को कई डोमेन में तैनात विभिन्न रेंज प्रणालियों द्वारा ट्रैक किया गया। डाउन रेंज शिप स्टेशनों से प्राप्त उड़ान डेटा ने अत्यधिक सटीकता के साथ सफल टर्मिनल कौशल और प्रभाव की पुष्टि की।
इस मिसाइल को हैदराबाद स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स की प्रयोगशालाओं तथा डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं और उद्योग भागीदारों द्वारा देश में विकसित किया गया है। यह उड़ान परीक्षण डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और सशस्त्र बलों के अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स पर एक पोस्ट में इस उड़ान परीक्षण को एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया।
इससे भारत ऐसे चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास ऐसी महत्वपूर्ण और उन्नत सैन्य तकनीकें हैं। उन्होंने सफल उड़ान परीक्षण के लिए डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योग को बधाई दी।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने डीआरडीओ की टीम को बधाई दी, जिसने इस सफल मिशन में सक्रिय योगदान दिया।
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