joharcg.com अनिवार्य हॉलमार्किंग का चौथा चरण 5 से शुरू
नई दिल्ली 15 नवम्बर 2024। 40 करोड़ से ज़्यादा सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग एक विशेष एचयूआईडी के साथ की गई है। इससे बाज़ार में उपभोक्ताओं के लिए ज़्यादा भरोसा और पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है। भारतीय मानक ब्यूरो ने स्वर्ण आभूषण और स्वर्ण कलाकृतियाँ संशोधन आदेश 2024 के अंतर्गत 5 नवंबर 2024 से अनिवार्य हॉलमार्किंग का चौथा चरण शुरू किया।
इसके अलावा चौथे चरण के दौरान अनिवार्य हॉलमार्किंग के अंतर्गत 18 अतिरिक्त जिलों में हॉलमार्किंग केंद्र स्थापित किए गए हैं। चौथे चरण के कार्यान्वयन के बाद अनिवार्य हॉलमार्किंग के अंतर्गत आने वाले जिलों की कुल संख्या अब 361 हो गई है।
बीआईएस ने पहले अनिवार्य हॉलमार्किंग के पहले चरण को लागू किया था। इसे 23 जून 2021 को शुरू किया गया था। इस चरण में 256 जिले शामिल थे। दूसरा चरण 4 अप्रैल 2022 से शुरू हुआ, इसमें 32 जिले और जोड़े गए। इसके बाद तीसरा चरण 6 सितंबर 2023 से लागू किया गया और इसमें 55 नए जिले शामिल किए गए। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है कि सरकार के उपायों से प्रतिदिन 4 लाख से अधिक सोने की वस्तुओं को एक विशेष एचयूआईडी (हॉलमार्क विशिष्ट पहचान) संख्या के साथ हॉलमार्क किया जा रहा है।
भारतीय तटरक्षक बल ने लक्षद्वीप से बीमार मरीज को निकाला
नई दिल्ली 15 नवम्बर 2024। भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने 13 नवंबर, 2024 की देर रात लक्षद्वीप के अगाती से एक गंभीर रूप से बीमार मरीज को निकाला। 68 वर्षीय मरीज को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और टाइप 2 रेस्पिरेटरी फेलियर की गंभीर बीमारी का पता चला था और उसे तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता थी। कोच्चि स्थित आईसीजी जिला मुख्यालय ने लक्षद्वीप मुख्यालय और लक्षद्वीप प्रशासन के साथ समन्वय करके एक डोर्नियर विमान भेजा और मरीज को आगे के उपचार के लिए कोच्चि के एर्नाकुलम जनरल हॉस्पिटल पहुंचाया।
तीव्र और सफल चिकित्सा निकासी आईसीजी द्वारा लक्षद्वीप प्रशासन व द्वीपवासियों को जीवन की सुरक्षा और मुख्य भूमि के साथ निरंतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने की दिशा में दी गई निरंतर सहायता का हिस्सा है, जो आईसीजी का आदर्श वाक्य है- ‘वयं रक्षामः’ – हम रक्षा करते हैं।
उद्योगों को दोहरी अनुमति से छूट प्रदान की गई
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राजपत्र अधिसूचना जारी की:
नई दिल्ली 15 नवम्बर 2024। भारत सरकार ने नए उद्योगों की स्थापना के लिए पर्यावरण मंजूरी (ईसी) और स्थापना की सहमति (सीटीई) के दोहरे अनुपालन को समाप्त करने की उद्योग जगत की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार कर लिया है। अब गैर-प्रदूषणकारी श्वेत श्रेणी के उद्योगों को सीटीई या संचालन की सहमति (सीटीओ) लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
जिन उद्योगों ने ईसी ले लिया है, उन्हें सीटीई लेने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे न केवल अनुपालन भार कम होगा, बल्कि अनुमोदनों के दोहराव को भी रोका जा सकेगा। इस संबंध में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचनाएं वायु अधिनियम और जल अधिनियम के अंतर्गत जारी की गई हैं।
अधिसूचना प्रभावी रूप से इन दोनों अनुमोदनों को एकीकृत करती है और इस संबंध में एक मानक प्रक्रिया भी जारी की गई है, ताकि ईसी में सीटीई प्रक्रिया के दौरान विचार किए गए मुद्दों को ध्यान में रखा जा सके। ईसी प्रक्रिया के दौरान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से परामर्श किया जाएगा। इसके अलावा, सीटीई शुल्क का भुगतान उद्योग द्वारा किया जाना आवश्यक होगा, ताकि राज्यों को राजस्व का कोई नुकसान न हो।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने पश्चिमी क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय समीक्षा बैठक आयोजित की
पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव ने राज्यों से टीकाकरण में तेजी लाने और बीमारी की रोकथाम हेतु रिपोर्टिंग बढ़ाने का आग्रह किया
नई दिल्ली 15 नवम्बर 2024। पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) की सचिव, अलका उपाध्याय ने 13 नवंबर, 2024 को नई दिल्ली में पश्चिमी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की क्षेत्रीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गोवा और बिहार सहित पश्चिमी राज्यों के पशुपालन एवं डेयरी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, निदेशक और योजना अधिकारी शामिल हुए तथा विभिन्न विभागीय कार्यक्रमों और योजनाओं की प्रगति पर चर्चा की।
बैठक में विभाग के प्रमुख अधिकारी भी उपस्थित थे, जिनमें अपर सचिव वर्षा जोशी और सलाहकार (सांख्यिकी) जगत हजारिका भी शामिल थे।
बैठक के दौरान, सचिव पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम), राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) के तहत उद्यमिता विकास, राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) और राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) सहित कई प्रमुख योजनाओं की भौतिक और वित्तीय प्रगति की समीक्षा की। भारत सरकार के प्रमुख एलएचडीसीपी (पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम), जो खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस, पीपीआर
(पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स) और क्लासिकल स्वाइन फीवर (सीएसएफ) जैसी प्रमुख बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण की समीक्षा की गई और मवेशियों, भैंसों, भेड़ों और बकरियों के लिए छमाही टीकाकरण की स्थिति पर चर्चा की गई। अन्य विषयों में पशु रोगों के नियंत्रण के लिए राज्यों को सहायता (एएससीएडी), मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) का संचालन और “पशुकल्याण समितियों” का गठन शामिल हैं। सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय ने राज्यों से टीकाकरण में तेजी लाने और बीमारी को फैलने से रोकने के लिए रिपोर्टिंग बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने एंटीबॉडी परीक्षण यानी सीरो-निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया
और उल्लेख किया कि खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी) मुक्त क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए और डेयरी क्षेत्र में विकास के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने और डेयरी उत्पादों में विविधता लाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने चारा उत्पादन के मुद्दे पर चर्चा करते हुए सभी राज्यों से चारे की खेती के विस्तार के प्रयासों को बढ़ाने का आग्रह किया और निम्नीकृत वन क्षेत्रों सहित उपलब्ध भूमि को अधिकतम करने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने पशुधन बीमा कवरेज के महत्व पर जोर दिया और सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से सभी पशुधन तक कवरेज बढ़ाने का अनुरोध किया। सचिव ने एएचडीएफ-किसान क्रेडिट कार्ड (एएचडीएफ-केसीसी) की धीमी प्रगति पर भी चिंता जताई और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने डेयरी क्षेत्र को मजबूत करने के लिए राज्यों में सहकारी नेटवर्क के विस्तार के महत्व को रेखांकित किया। पशुपालन क्षेत्र के लिए भविष्य की नीतियों को स्वरूप देने में 21वीं पशुधन जनगणना के सफल कार्यान्वयन की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया।