joharcg.com ओडिशा से लेकर बंगाल तक ‘दाना’ चक्रवात का असर देखने को मिला है. चक्रवात देर रात 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ओडिशा के तट से टकराया. इसके चलते ओडिशा और पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में तेज आंधी के साथ बारिश हो रही है. इसके साथ ही ओडिशा में तूफान के बीच 1600 बच्चों के जन्म होने की खबर भी आई है. दरअसल, ओडिशा में चक्रवात ‘दाना’ की वजह से स्वास्थ्य केंद्रों में शिफ्ट की गईं 4,431 गर्भवती महिलाओं में से 1,600 ने बच्चों को जन्म दिया है.
ऐसे में सवाल है कि क्या तूफान की वजह से बच्चों की डिलीवरी रेट पर असर पड़ता है और प्रेग्नेंट महिलाओं के बच्चे समय से पहले पैदा हो जाते हैं. इसे लेकर कई तरह की स्टडी भी की गई हैं, जिनमें अलग-अलग तर्क दिए गए हैं. कई कहानियों में तूफान में बच्चे जल्दी पैदा होने की बात कही जाती हैं. ऐसे में जानते हैं इसे लेकर विज्ञान क्या कहता है और समझते हैं कि क्या वाकई तूफान का प्रेग्नेंट महिलाओं पर असर पड़ता है?
क्या तूफान से पड़ता है बर्थ पर असर?
दरअसल, जब भी तूफान की स्थिति बनती है तो प्रभावित क्षेत्रों में कम वायुदाब क्षेत्र बनता है, मतलब लॉ एयर प्रेशर. कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इसका प्रेग्नेंट महिलाओं पर असर पड़ता है और ये जन्मदर में वृद्धि का कारण बनता है. लॉ प्रेशर की वजह से बच्चे का पेट से बाहर आना आसान हो जाता है. एनपीआर की एक रिपोर्ट में अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट्स के सीईओ डॉ. हैल लॉरेंस से बातचीत के आधार पर कहा गया है कि ये काफी पुरानी कहानियों में से एक है.
वहीं, साल 2007 में आर्काइव्स ऑफ गाइनोकोलॉजी एंड ऑब्सटेट्रिक्स में छपी एक रिपोर्ट में जनवरी 1997 और दिसंबर 2003 के बीच एक अस्पताल में जन्मे बच्चों पर स्टडी की गई थी. इस स्टडी में सामने आया था कि कम दबाब की अवधि में प्रसव की संख्या में बढ़ोतरी हो गई थी.
फोर्ब्स की एक रिपोर्ट में भी प्रसव और कम दबाव के बीच एक कनेक्शन पाया गया है. इसमें बताया गया है कि कम दबाव की वजह से भ्रूण की झिल्ली टूटने के चांस बढ़ जाते हैं और प्रसव के मामले बढ़ जाते हैं. कुछ लोगों ने तो यह भी सुझाव दिया है कि तूफान और उससे संबंधित दबाव के कारण लेबर पेन बढ़ने लगता है.
कई मानते हैं मिथ
इसके उलट कई ऐसी रिपोर्ट भी हैं, जिनमें इस तथ्य को गलत माना गया है. कई रिपोर्ट में कहा गया है कि कम दबाव की वजह से प्रसव की संख्या अधिक होने की बातें मिथ हैं और इसे लेकर अभी तक कोई ठीस सबूत नहीं मिला है. (aajtak.in)