joharcg.com भारतीय शतरंज में अपनी विशेष पहचान बना चुकीं हरिका द्रोणावल्ली ने हाल ही में भारत में युवा ग्रैंडमास्टर (जीएम) पैदा करने की संभावनाओं को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय शतरंज का भविष्य उज्ज्वल है और युवा खिलाड़ियों में एक अद्भुत प्रतिभा मौजूद है, जो उन्हें इस खेल में ऊँचाई तक पहुंचा सकती है।

हरिका ने अपने अनुभवों के आधार पर कहा कि भारत में शतरंज के प्रति बढ़ती रुचि और खेल के प्रति समर्पण के कारण युवा खिलाड़ियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि शतरंज अब केवल एक खेल नहीं, बल्कि एक करियर के रूप में उभर रहा है, जिससे युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा मिल रही है।

हरिका ने कहा, “हमारे देश में ऐसी प्रतिभाएं हैं जो विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं। हमें केवल उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन देने की आवश्यकता है।” उनका मानना है कि अगर युवा खिलाड़ियों को उचित प्रशिक्षण, संसाधन और मानसिक सहारा मिले, तो वे जीएम बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकते हैं।

भारत में शतरंज की लोकप्रियता पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है। विश्व शतरंज चैंपियनशिप और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारतीय खिलाड़ियों की भागीदारी ने देश को एक नई पहचान दी है। इससे युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनने का कार्य किया है। हरika ने कहा कि हमें अपनी युवा प्रतिभाओं को सही तरीके से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है ताकि वे वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकें।

हरिका ने भारतीय महिला शतरंज खिलाड़ियों के योगदान को भी सराहा और कहा कि महिलाओं में भी जीएम बनने की अद्भुत संभावनाएं हैं। उन्होंने यह सुझाव दिया कि शतरंज के प्रति रुचि रखने वाली युवतियों को आगे बढ़ने का अवसर दिया जाना चाहिए।

हरिका ने भारतीय शतरंज की दिशा में अपने भविष्य के योजनाओं के बारे में भी बताया। वह युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने और उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए विभिन्न कार्यशालाओं और ट्रेनिंग कार्यक्रमों का आयोजन करने की योजना बना रही हैं। उनका लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में भारत में और भी अधिक जीएम उत्पन्न हों, जो देश का नाम रोशन कर सकें।

हरिका द्रोणावल्ली का यह दृष्टिकोण निश्चित रूप से भारतीय शतरंज के भविष्य को लेकर उत्साह जगाता है। उनकी सोच और प्रयासों से यह उम्मीद जगती है कि भारत जल्द ही युवा जीएम पैदा करने में एक प्रमुख केंद्र बन सकता है। भारत की शतरंज संस्कृति में यह बदलाव न केवल खेल को बढ़ावा देगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए नए अवसर भी खोलेगा।

हरिका ने भारत में सबसे युवा जीएम बनाने की संभावना जताई है। भारतीय-अमेरिकी अभिमन्यु मिश्रा जो कि 2021 में सिर्फ 12 साल के थे उन्होंने सबसे कम उम्र में ग्रैंडमास्टर बनने की क्षमता दिखाई थी, लेकिन हरिका के अनुसार, शतरंज में उम्र का कोई प्रभाव नहीं होता।

डी हरिका मानती है कि खेल में उच्चतम स्तर पर पहुंचने के लिए तनाव मुक्त रहना महत्वपूर्ण है। उनके अनुसार, खेल में सफलता प्राप्त करने के लिए उम्र और अनुभव का कोई महत्व नहीं है, बल्कि मेहनत और समर्पण ही अंतिम लक्ष्य तक पहुंचने की कुंजी है।

हरिका ने अपने खेल करियर में अनेक महत्वपूर्ण मुकाबले खेले हैं और अपनी साधना क्षमता से हर बार प्रशंसा हासिल की है। उन्होंने जारी रखा है और उनका योगदान भारतीय शतरंज खेल को समृद्धि में लेने में मदद करता है।

डी हरिका का यह उत्कृष्ट सोचने का तरीका और उनका योगदान खेल में नये उच्चांकों को हासिल करने में मदद कर सकता है। यदि उन्हें सबसे युवा जीएम बनने का सम्मान मिलता है, तो यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा जो भारतीय शतरंज के लिए गर्व की बात होगी।

इस प्रेरणादायक कथन के माध्यम से हमें यह यकीन है कि हरिका जैसे युवा और प्रेरणादायक खिलाड़ियों की उत्कृष्टता को समर्थन और सराहना करना आवश्यक है। उनके योगदान और प्रयास से हमारे देश का नाम विश्व स्तर पर ऊँचाईयों को छूने की संभावना होती है।

Charan Das Mahant Archives – JoharCG