joharcg.com उज्जैन के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में 12 अक्टूबर एक महत्वपूर्ण दिन बनने जा रहा है, जब मंदिर के सभा मंडप में विशेष पूजन-अर्चन के बाद पारंपरिक सवारी निकाली जाएगी। इस सवारी का आयोजन भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है, जो सालभर इस शुभ अवसर का इंतजार करते हैं।

मंदिर प्रशासन और श्रद्धालुओं द्वारा सवारी के इस आयोजन की तैयारी कई दिनों से की जा रही है। 12 अक्टूबर को सुबह से ही मंदिर परिसर में भव्य पूजन-अर्चन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें पुरोहितों द्वारा विशेष मंत्रोच्चारण के साथ देवी-देवताओं की पूजा होगी। इसके बाद सभा मंडप में पूजा के समापन के बाद, परंपरागत सवारी मंदिर से निकाली जाएगी।

सवारी के दौरान शहर के प्रमुख मार्गों पर भक्तों का जमावड़ा देखने को मिलेगा, जो इस पवित्र आयोजन में भाग लेने के लिए दूर-दूर से आएंगे। उज्जैन का यह धार्मिक आयोजन हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, और इस साल भी इस आयोजन को लेकर विशेष उत्साह है।

उज्जैन अपनी महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और अन्य पवित्र स्थलों के लिए प्रसिद्ध है, और यहां के धार्मिक आयोजनों में पूरे भारत से श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस सवारी के आयोजन को भगवान महाकाल और अन्य देवी-देवताओं की कृपा से जोड़ा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस सवारी में शामिल होने से भक्तों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

इस भव्य सवारी के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की भारी संख्या को देखते हुए ट्रैफिक व्यवस्था और सुरक्षा बलों की तैनाती की योजना बनाई है। साथ ही, मंदिर परिसर और सवारी मार्ग पर श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, चिकित्सा सहायता और अन्य आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।

मंदिर प्रशासन ने भक्तों से अपील की है कि वे अनुशासन बनाए रखें और धार्मिक आयोजन को शांति और सौहार्द्र के साथ संपन्न होने में सहयोग करें। साथ ही, इस पवित्र सवारी में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे साफ-सफाई का ध्यान रखें और मंदिर परिसर को स्वच्छ बनाए रखें।

12 अक्टूबर को उज्जैन में होने वाला यह धार्मिक आयोजन न केवल एक महत्वपूर्ण परंपरा है, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का प्रतीक भी है। विशेष पूजन-अर्चन के बाद निकलने वाली यह सवारी उज्जैन के धार्मिक इतिहास का एक अनिवार्य हिस्सा है, जिसमें हर साल हजारों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं।

उज्जैन: विजया दशमी पर्व के मौके पर, 12 अक्टूबर को शनिवार को शाम 4 बजे, श्री महाकालेश्वर मंदिर से बाबा महाकाल की सवारी नए शहर में भ्रमण के लिए निकलेगी। इस अद्वितीय अवसर पर, मंदिर के सभा मंडप में पूजन-अर्चन के बाद, भगवान महाकाल की चांदी की पालकी में विराजिति दर्शन कराए जाएंगे।

यह पावन क्षण हर साल हजारों श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण है जो भगवान महाकाल की आराधना में विश्वास रखते हैं। इस महान पर्व के दौरान, शहर की सड़कें और मंदिर के आसपास रोशनी से जगमगाहट होगी। उज्जैन के इस धारावाहिक के दौरान कई संगठन और समाज सेवा संस्थान भी भाग लेंगे। वे भगवान की सवारी की व्यवस्था के साथ-साथ, सामाजिक तरीके से शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए योजनाएं बना रहे हैं।

यह आयोजन स्थानीय लोगों के लिए आनंददायक अनुभव साबित होगा, जिन्हें इस अद्वितीय दिन पर अपने नगर में भगवान की सवारी देखने का अवसर मिलेगा। इस उत्सव के माहौल में, लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर आनंद उठाएंगे और इस स्नेही भावना का आनंद लेंगे। इस सामाजिक और धार्मिक आयोजन के माध्यम से, लोग साथ मिलकर एक अनूठा अनुभव अनुभव करेंगे और इसे यादगार बनाने का संकल्प लेंगे। जोय भोले नाथ की!,

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