joharcg.com उज्जैन, मध्य प्रदेश: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए आए भक्तों के लिए एक अद्भुत अनुभव रहा जब भस्म आरती के दौरान सूर्य और चंद्रमा का संगम हुआ। इस विशेष अवसर पर महाकाल मंदिर के आंगन में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी, जहाँ उन्होंने भस्म आरती के अनोखे दृश्य का आनंद लिया।

भस्म आरती महाकाल मंदिर में एक विशेष पूजा विधि है, जो भगवान शिव को समर्पित होती है। इसे हर दिन सुबह और शाम के समय किया जाता है। इस आरती में विशेष रूप से भस्म ( राख ) का उपयोग किया जाता है, जो शिव की अनन्तता और उनकी शक्ति का प्रतीक है। इस दिन, सूर्य और चंद्रमा के आकाश में उपस्थित होने से भस्म आरती का महत्व और भी बढ़ गया।

इस विशेष अवसर पर सूर्य और चंद्रमा की उपस्थिति ने आस्था और श्रद्धा का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया। भक्तों ने देखा कि कैसे सूर्य की किरणें महाकाल के दिव्य स्वरूप पर पड़ रही थीं, जबकि चंद्रमा की शीतलता ने वातावरण को और भी पवित्र बना दिया। यह नजारा सभी के लिए एक दिव्य अनुभव रहा, जिसने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

भक्तों ने इस अवसर को अद्भुत बताते हुए कहा कि यह न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में आध्यात्मिकता का संचार करता है। कई भक्तों ने इस अनुभव को अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पल बताया। “महाकाल के साथ सूर्य और चंद्रमा का संगम देखना हमारे लिए बहुत बड़ा सौभाग्य है। यह हमें सच्चाई और आस्था की शक्ति का एहसास कराता है,” एक भक्त ने कहा।

इस अद्भुत दृश्य के बाद, भक्तों ने अपने अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा करना शुरू कर दिया। कई लोगों ने इस संगम के फोटो और वीडियो साझा किए, जिससे यह नजारा तेजी से वायरल हो गया। भक्तों की टिप्पणियों में इस विशेष आरती की सुंदरता और दिव्यता की प्रशंसा की गई।

उज्जैन में महाकाल की भस्म आरती के दौरान सूर्य और चंद्रमा का संगम एक अद्भुत धार्मिक अनुभव था। इस अवसर ने न केवल भक्तों की आस्था को मजबूती दी, बल्कि यह भी साबित किया कि भगवान शिव की महिमा हर समय और हर स्थान पर विद्यमान है। महाकाल मंदिर में यह दृश्य हमेशा के लिए एक यादगार पल बन गया, जो भक्तों के दिलों में सदैव बसा रहेगा।

उज्जैन: आज महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल के शीश पर सूर्य और चंद्रमा बनाए गए और फूलों की माला से शृंगार किया गया, जिसने भी इन दिव्य दर्शनों का लाभ लिया वह देखते ही रह गया। आज भक्तों को दर्शन देने के लिए बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे, जिसके बाद बाबा महाकाल की भस्म आरती धूमधाम से की गई। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया

कि अश्विन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी की नवरात्रि के तीसरे दिन पर आज बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे। भगवान वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए, जिसके बाद सबसे पहले भगवान का स्नान, पंचामृत अभिषेक करवाने के साथ ही केसर युक्त जल अर्पित किया गया। इसके बाद बाबा महाकाल का माता स्वरूप में भव्य शृंगार किया गया। आज के इस अलौकिक शृंगार को जिसने भी देखा वह देखता ही रह गया।

बाबा महाकाल का पूजन सामग्री से शृंगार किया गया और फिर महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की गई। श्रद्धालुओं ने नंदी हॉल और गणेश मंडपम से बाबा महाकाल की दिव्य भस्म आरती के दर्शन किए और भस्म आरती की व्यवस्था से लाभान्वित हुए। श्रद्धालुओं ने इस दौरान बाबा महाकाल के निराकार से साकार होने के स्वरूप का दर्शन कर जय श्री महाकाल का उद्घोष भी किया।

राजसी ठाट-बाट से निकाली उमा माता की सवारी। श्री महाकालेश्वर मंदिर में उमा सांझी महोत्सव में भगवान श्री महाकालेश्वर की भांति वर्ष में एक बार निकलने वाली श्री उमा माता की सवारी श्री महाकालेश्वर मंदिर से राजसी ठाट-बाट से निकाली गई। पंच दिवसीय उमा सांझी महोत्सव के पश्चात चन्द्र दर्शन के लिए परंपरानुसार उमा माता जी की सवारी नगर भ्रमण पर निकली। सवारी के पूर्व सभा मंडप में पूजन पश्चात श्री उमा माता की पालकी को नगर भ्रमण की ओर रवाना किया।

श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर मध्यप्रदेश सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा श्री उमा माता को सलामी देने के बाद पालकी ने नगर भ्रमण की ओर प्रस्थान किया। मार्ग के दोनों ओर खड़े श्रद्धालुओं ने पालकी में विराजित भगवान श्री उमा माता के दर्शनों का लाभ लिया।

पालकी में श्री उमा माता की रजत की प्रतिमा व डोल रथ गरूड़ पर माताजी (पीतल की प्रतिमा) तथा भगवान श्री महेश विराजित होकर निकले। एवं मोढ़ की धर्मशाला, रामानुज कोट होते हुए क्षिप्रा तट पर पहुंची। यहां जवारे व संजा विसर्जन एवं पूजन के पश्चात सवारी कहारवाड़ी, बक्षी बाजार एवं महाकाल रोड होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आई।,

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