joharcg.com धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि के बीच, हाल ही में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक ठग गिरोह ने एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक को 71 लाख रुपये की ठगी का शिकार बना दिया। यह मामला शहर के एक प्रमुख वैज्ञानिक के साथ हुआ, जिसने अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर समाज में एक विशेष स्थान बनाया था।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, ठगों ने खुद को एक सरकारी अधिकारी के रूप में पेश किया और वैज्ञानिक को फोन करके बताया कि उनके नाम से कुछ अनधिकृत लेन-देन हुए हैं। ठगों ने यह भी कहा कि अगर वह तुरंत कार्रवाई नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस भयावह स्थिति में वैज्ञानिक ने तुरंत उन पर भरोसा कर लिया और अपनी बचत की राशि को ठगों के बताए गए खाते में भेज दिया।

ठगों ने वैज्ञानिक को यह भी विश्वास दिलाने के लिए विभिन्न दस्तावेज और झूठे प्रमाण पेश किए कि वे वास्तव में सरकारी अधिकारी हैं और उन्हें मदद की आवश्यकता है। इस पूरी प्रक्रिया में ठगों ने कई बार वैज्ञानिक से संपर्क किया और उसे डराया-धमकाया, जिससे वह और अधिक दबाव में आ गया।

ठग गिरोह ने इस वारदात को अंजाम देने के लिए बेहद चालाकी से योजना बनाई थी। वैज्ञानिक की विशेषज्ञता के बारे में जानते हुए, उन्होंने अपने आप को उच्चस्तरीय सरकारी अधिकारियों के रूप में प्रस्तुत किया। इसके लिए उन्होंने एक प्रामाणिक फोन नंबर का भी इस्तेमाल किया, जिससे वैज्ञानिक को कोई शक न हो।

जैसे ही वैज्ञानिक ने ठगों के कहने पर पैसे भेजे, उसके बाद ठगों ने उसे फिर से संपर्क किया और विभिन्न बहाने बनाकर उससे और पैसे मांगने लगे। वैज्ञानिक ने जब अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में परिवार वालों से बात की, तो उन्हें ठगी का पता चला और उन्होंने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद तुरंत जांच शुरू कर दी। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि ठग गिरोह की यह गतिविधि केवल एक वैज्ञानिक तक सीमित नहीं है, बल्कि वे कई अन्य लोगों को भी इसी तरह का शिकार बना सकते हैं। पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी अनजान कॉल या संदेश पर भरोसा न करें और इस तरह के मामलों की तुरंत सूचना दें।

यह घटना इस बात का सबूत है कि आजकल के ठग कितनी चालाकी से काम कर रहे हैं। वैज्ञानिक और आम जनता को सावधान रहना चाहिए और किसी भी प्रकार की अनधिकृत मांगों पर तुरंत संदेह करना चाहिए। यदि किसी को ऐसे कॉल या संदेश मिलते हैं, तो उन्हें चाहिए कि वे तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचित करें और अपने धन की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि धोखाधड़ी के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है और ऐसे ठग गिरोह आम लोगों को निशाना बना रहे हैं। इसके लिए समाज के सभी वर्गों को एक साथ मिलकर सावधानी बरतनी होगी और इस तरह के मामलों से बचने के लिए जागरूक रहना होगा। ठग गिरोह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए पुलिस विभाग को भी आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है।

इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर में एक गिरोह ने वैज्ञानिक को फर्जी अधिकारी बनकर 71 लाख रुपये की ठगी की है। शुक्रवार को, एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि परमाणु ऊर्जा विभाग के एक संस्थान के कर्मचारी को जालसाजों ने “डिजिटल गिरफ्तारी” के तरीके से धोखा दिया।

इस घटना में, यह गिरोह एक फर्जी अधिकारी का दस्तावेज बनाकर, वैज्ञानिक के साथ मिलकर काम किया। वे अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करके वैज्ञानिक को विशेष संदेश पहुंचाने के लिए धोखा दिया। इस तरह, उन्होंने धोखाधड़ी करके वैज्ञानिक से 71 लाख रुपये की ठगी की।

यह एक चिंताजनक मामला है जो भारत की सामाजिक सुरक्षा तंत्र की कमियों को उजागर करता है। फर्जी गिरोहों द्वारा वैज्ञानिकों के साथ धोखाधड़ी भारतीय समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है। वैज्ञानिकों को सतर्क रहना चाहिए और किसी भी अज्ञात या संदिग्ध परिस्थिति में अधिकारियों से सत्यापन करने की आवश्यकता है। इस प्रकार की धोखाधड़ी के खिलाफ सावधानी बरतना आवश्यक है।

इस घटना ने शोधकर्ताओं के लिए एक मामूली संकेत है कि वे सतर्क रहें और किसी भी ऐसे धोखाधड़ी के शिकार ना बनें। उन्हें अपनी सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए और किसी भी संदिग्ध परिस्थिति में तुरंत पुलिस को सूचित करना चाहिए।

इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने के लिए सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और इस्तेमाल हो रहे तकनीकी प्रकार से लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। इस तरह की गिरोहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और समाज की सुरक्षा का ध्यान रखा जा सके।,

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