अमित जोगी करेंगे वकालत

joharcg.com छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ा नाम, अमित जोगी, ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। वे अब फिर से वकालत की प्रैक्टिस करेंगे, और इस बार उनका मकसद सिर्फ कानूनी सलाहकार बनना नहीं, बल्कि गरीब, शोषित और वंचित लोगों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ना है। अमित जोगी ने अपने इस फैसले को सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के रूप में प्रस्तुत किया है।

अमित जोगी ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। वे छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे हैं, और खुद भी राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं। लेकिन अब वे कानूनी क्षेत्र में वापसी कर रहे हैं, जहाँ वे खासतौर से उन लोगों की मदद करेंगे, जो समाज में गरीब, शोषित और वंचित माने जाते हैं।

अमित जोगी का कहना है, “मेरी लड़ाई केवल चुनावी नहीं है, बल्कि एक सामाजिक लड़ाई है। मैं उन लोगों के लिए न्याय की आवाज़ बनूंगा, जो अपने अधिकारों से वंचित हैं। वकालत के माध्यम से मैं उनका प्रतिनिधित्व करूंगा और उनके हक की लड़ाई को आगे बढ़ाऊंगा।”

अमित जोगी ने वकालत की दिशा में वापसी का जो फैसला किया है, वह सिर्फ एक पेशेवर कदम नहीं है, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन भी है। वे अपनी वकालत के जरिए गरीब और वंचित लोगों के लिए लड़ाई लड़ेंगे, जो समाज में अक्सर हाशिए पर रहते हैं। जोगी का मानना है कि कानून का सही उपयोग समाज के उन लोगों के लिए किया जाना चाहिए, जो न्याय पाने में सक्षम नहीं होते

यह पहली बार नहीं है कि अमित जोगी वकालत कर रहे हैं। वे पहले भी एक सफल वकील रह चुके हैं और उनके पास कानूनी मामलों में अच्छी विशेषज्ञता है। उनके पास कानून की गहरी समझ है, और इस बार वे अपनी विशेषज्ञता को उन लोगों के हक में इस्तेमाल करेंगे, जिन्हें कानूनी सहायता की सबसे ज्यादा जरूरत है। खासकर गरीब और वंचित वर्गों के लिए उनकी यह पहल समाज में बड़ा बदलाव ला सकती है।

अमित जोगी का यह निर्णय उनके राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण को भी स्पष्ट करता है। उनके अनुसार, “मैंने राजनीति में भी हमेशा उन लोगों की आवाज़ उठाई है, जिन्हें मुख्यधारा से अलग रखा गया है। अब कानूनी क्षेत्र में भी मैं उसी दिशा में काम करूंगा।”

यह स्पष्ट है कि उनका यह कदम केवल व्यक्तिगत सफलता के लिए नहीं है, बल्कि यह उन समुदायों के लिए न्याय की राह आसान बनाने का प्रयास है, जिनके पास अपनी बात कहने का कोई मंच नहीं होता।

अमित जोगी की इस घोषणा ने उन लोगों के बीच एक नई उम्मीद जगाई है, जो कानूनी लड़ाई लड़ने में सक्षम नहीं होते। उनकी यह पहल उनके समर्थकों और उन लोगों के लिए एक बड़ी राहत होगी, जो न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

उनका कहना है, “मेरा उद्देश्य सिर्फ कानूनी मामलों को हल करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि जो लोग अपनी लड़ाई लड़ने में असमर्थ हैं, उनके अधिकारों की रक्षा की जाए।”

छत्तीसगढ़ के पूर्व संसद सदस्य अमित जोगी ने दोबारा वकील के रूप में अपना करियर शुरू करने का ऐलान किया है। जोगी ने कहा है कि वह गरीब, शोषित और वंचित लोगों के लिए कानूनी मैदान में लड़ाई लड़ेंगे। अमित जोगी ने अपनी फिल्मी करियर को छोड़कर सीधे अपने पिता अजीत जोगी के नेतृत्व में चल रहे जनता की समर्थन पार्टी (जनसेना) में शामिल होने का निर्णय लिया था।

अमित जोगी ने कहा, “मुझे यह गर्व है कि मैं लोकतंत्र के मूल्यों को मजबूत करने के लिए फिर से वकालत करने जा रहा हूँ। मैं उन लोगों की आवाज बन कर उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए पूरी कोशिश करूंगा जो समाज के सबसे कमजोर वर्ग में से हैं।”

जोगी ने अपने नेतृत्व में जनसेना के साथ साझा किया कि उनका लक्ष्य लोकतंत्र को मजबूत बनाने और गरीब, वंचित और शोषित लोगों के हित में काम करने का है। वह समाज के इन सब वर्गों के लिए न्याय और समानता की मंजिल को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

उन्होंने कहा कि उनका हर कदम सिर्फ उन लोगों के लिए होगा, जो ज़िंदगी के हर पहलू में संघर्ष कर रहे हैं और उन्हें अपने अधिकारों को प्राप्त करने में मदद की ज़रूरत है। अमित जोगी ने वकालत का फिर से शुरू करने का वक्त आते ही अपनी पहली प्राथमिकता के रूप में गरीबों और मजबूरों के मसले को सुलझाने का ऐलान किया है। उनका इस कदम से समाज में एक नई उम्मीद की किरण उमड़ी है।

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