joharcg.com मध्यप्रदेश के एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज से हाल ही में 60 सुरक्षा गार्डों को नौकरी से निकाले जाने के बाद एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। ये गार्ड पिछले कई वर्षों से कॉलेज परिसर में अपनी सेवाएं दे रहे थे, लेकिन अचानक उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। इस फैसले ने न केवल इन गार्डों को बेरोजगार कर दिया है, बल्कि उनके परिवारों के लिए भी जीवन यापन का संकट खड़ा कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने बजट की कमी का हवाला देते हुए यह कदम उठाया है। प्रशासन का कहना है कि सुरक्षा सेवाओं के ठेके में कटौती के कारण उन्हें गार्डों की संख्या कम करनी पड़ी। हालांकि, गार्डों का कहना है कि उन्हें पहले से किसी भी प्रकार की सूचना नहीं दी गई थी और अचानक ही यह निर्णय सुनाया गया।
निकाले गए गार्डों का कहना है कि वे कई सालों से कॉलेज में काम कर रहे थे और उनकी नौकरी से उनके परिवार का गुजारा होता था। उनमें से कई गार्ड ऐसे भी हैं, जो उम्र के ऐसे पड़ाव पर हैं, जहां उन्हें दूसरी नौकरी मिलना मुश्किल हो सकता है। एक गार्ड ने कहा, “हमारी सेवाओं को बिना किसी कारण के समाप्त कर दिया गया है। हमने अपने जीवन के कई साल इस नौकरी को दिए हैं, और अब अचानक बेरोजगार होकर हम कहाँ जाएंगे?”
इन गार्डों की छंटनी ने उनके परिवारों को भी आर्थिक संकट में डाल दिया है। ज्यादातर गार्ड अपने परिवार के अकेले कमाने वाले सदस्य हैं, और नौकरी जाने के बाद उनके पास आय का कोई अन्य साधन नहीं बचा है। कुछ गार्डों ने कहा है कि वे अपने बच्चों की पढ़ाई और परिवार के अन्य खर्चों को पूरा करने में असमर्थ हो रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने अभी तक गार्ड्स के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की घोषणा नहीं की है। हालांकि, कॉलेज के कुछ अधिकारियों का कहना है कि यह निर्णय अत्यधिक बजट कटौती और नए सुरक्षा ठेके के प्रावधानों के कारण लिया गया है। प्रशासन का कहना है कि वे गार्डों के हितों को ध्यान में रखते हुए कोई वैकल्पिक रास्ता निकालने की कोशिश करेंगे।
गार्डों ने स्थानीय प्रशासन और सरकार से न्याय की अपील की है। उनका कहना है कि अगर इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वे विरोध प्रदर्शन का रास्ता अपनाएंगे। कई गार्डों ने स्थानीय श्रमिक संगठनों से भी मदद की गुहार लगाई है, ताकि उनकी आवाज शासन तक पहुंच सके और उनके लिए रोजगार के नए अवसर मिल सकें।
रोजगार विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार की छंटनी से गार्डों जैसे असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। बिना किसी वैकल्पिक योजना के अचानक नौकरी से निकालना न केवल व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करता है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी यह एक बड़ी समस्या है।
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के रोजगार और सुरक्षा के लिए क्या बेहतर कदम उठाए जा सकते हैं। जब तक प्रशासन और सरकार इस तरह के मुद्दों पर संवेदनशीलता से काम नहीं करते, तब तक हजारों परिवारों को इसी प्रकार के संकटों का सामना करना पड़ेगा।
नई दिल्ली: मास्टर मिंड इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के सुरक्षा गार्ड्स नौकरी से निकाले जाने पर बेरोजगार हो गए हैं। इन 60 गार्ड्स के निकाले लंबे समय तक इनके काम में बढ़ोतरी का कारण बन रहे थे। ये गार्ड्स मास्टर मिंड इंस्टीट्यूट में ड्यूटी कर रहे थे।
इन गार्ड्स का काम था सुरक्षा सुनिश्चित करना। गार्ड्स के निकाले जाने से उन्हें काफी नुकसान हुआ है, क्युकी इन्होंने लंबे समय तक सेवा देने के बाद दिन-रात मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा में लगे थे। इन गार्ड्स ने अपील की है कि मास्टर मिंड इंस्टीट्यूट के अधिकारियों पर ध्यान दिया जाए और उन्हें नौकरी फिर से दी जाए। उन्होंने कहा है कि उन्होंने हमेशा ईमानदारी से काम किया है और निकाले जाना अन्याय है।
मास्टर मिंड इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के प्रतिनिधि जानकार के अनुसार, इन गार्ड्स का काम नए गार्ड्स द्वारा लिया जा रहा है। उन्होंने निकाले जाने की नयी तौरीके से भी चर्चा की है। इन गार्ड्स की मदद के लिए उन्होंने कृपया की है कि सरकार उन्हें नौकरी देने के लिए कोई सोचे। इस खबर के बारे में अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।