पैरासिटामोल

joharcg.com हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने चिकित्सा जगत में हलचल मचा दी है। रिपोर्ट के अनुसार, पैरासिटामोल समेत 53 दवाइयां गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरीं हैं। इस खबर ने आम जनता और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बीच चिंता पैदा कर दी है, क्योंकि पैरासिटामोल जैसी दवा का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है, खासकर दर्द और बुखार के इलाज के लिए।

दवाओं की गुणवत्ता को जांचने के लिए नियमित रूप से परीक्षण किए जाते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जो दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं, वे सुरक्षित और प्रभावी हैं। गुणवत्ता परीक्षण में दवाओं की संरचना, शुद्धता, और उनमें उपयोग किए गए अवयवों की गुणवत्ता की जांच की जाती है। किसी भी दवा का फेल होना इस बात का संकेत है कि या तो उस दवा में निर्धारित मानक का पालन नहीं हुआ है, या फिर उसमें कुछ ऐसी घटक मिलाए गए हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

इस परीक्षण में न केवल पैरासिटामोल बल्कि अन्य कई प्रमुख दवाएं भी फेल हो गई हैं। इनमें दर्दनिवारक, एंटीबायोटिक्स और अन्य जरूरी दवाएं शामिल हैं। यह एक गंभीर स्थिति है क्योंकि इन दवाओं का उपयोग आमतौर पर रोजमर्रा की बीमारियों के इलाज में किया जाता है।

पैरासिटामोल एक बेहद लोकप्रिय दवा है, जिसका उपयोग दर्द, बुखार, और सूजन को कम करने के लिए किया जाता है। यह आमतौर पर बिना डॉक्टर की सलाह के भी लिया जाता है, जिससे इसका इस्तेमाल बहुत व्यापक है। लेकिन इस परीक्षण में पाया गया है कि कुछ बैचों में पैरासिटामोल मानकों के अनुरूप नहीं था। इससे यह सवाल उठता है कि क्या जो लोग नियमित रूप से इस दवा का उपयोग कर रहे हैं, वे अनजाने में अपने स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहे हैं?

यदि आप उन दवाओं का उपयोग कर रहे हैं जो इस परीक्षण में फेल हुई हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। किसी भी संदिग्ध दवा का उपयोग बंद कर देना सबसे सही कदम है। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करें कि आप केवल प्रतिष्ठित कंपनियों की ही दवाओं का उपयोग करें और पैकेजिंग पर दी गई जानकारी को ध्यान से पढ़ें।

यह घटना सरकार और दवा कंपनियों के लिए एक चेतावनी है। दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है। स्वास्थ्य मंत्रालय को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर गंभीर कदम उठाए और दोषी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। साथ ही, उपभोक्ताओं को भी जागरूक करने की जरूरत है ताकि वे गुणवत्ता की जांच के बिना कोई भी दवा न खरीदें।

पैरासिटामोल समेत 53 दवाओं का गुणवत्ता परीक्षण में फेल होना एक गंभीर समस्या है, जिसका सीधा प्रभाव आम जनता के स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। ऐसे में जरूरी है कि हम सतर्क रहें, और सरकार व दवा कंपनियां भी अपनी जिम्मेदारी निभाएं। स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं किया जा सकता, और यह घटना इस बात का सटीक उदाहरण है।

आमतौर पर बुखार में खाई जाने वाली पैरासिटामोल टैबलेट गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो गई है। इसके अलावा कैल्शियम और विटामिन डी-3 की सप्लीमेंट, मधुमेह की गोलियां और हाई ब्लड प्रेशर की दवाओं सहित 50 से अधिक दवाएं औषधि नियामक द्वारा किए गए गुणवत्ता परीक्षण में फेल पाई गई हैं। गुणवत्ता परीक्षण में फेल हुई दवाओं की लिस्ट इंडियन ड्रग्स रेग्युलेटर सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर जारी की है।  

भारतीय औषधि नियामक- सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन हर महीने दवाईयों की जांच के लिए कुछ दवाओं को चुनता है। फिर उनकी जांच की जाती है। इस बार सरकारी संस्था ने विटामिन सी और डी3 की टैबलेट्स शेल्कल, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और विटामिन सी सॉफ्टजेल, एंटीएसिड पैन-डी, पैरासिटामोल आईपी 500 एमजी, डायबिटीज की दवा ग्लिमेपिराइड, हाई ब्लड प्रेशर की दवा टेल्मिसर्टन जैसी दवाई का टेस्ट किया था। जो क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गईं।

ये दवाएं हेटेरो ड्रग्स, एल्केम लैबोरेटरीज, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड (एचएएल), कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड, मेग लाइफसाइंसेज, प्योर एंड क्योर हेल्थकेयर कई दिग्गज दवा निर्माता कंपनियों द्वारा बनाई गई थीं।  

पेट संक्रमण में खाई जाने वाली ये दवाई भी हुई फेल
पेट के संक्रमण के इलाज के लिए व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दवा मेट्रोनिडाजोल, जिसे पीएसयू हिंदुस्तान एंटीबायोटिक लिमिटेड (एचएएल) द्वारा निर्मित किया जाता है, उन दवाओं में से एक है जो गुणवत्ता परीक्षण में विफल रही है।

टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स द्वारा वितरित और उत्तराखंड स्थित प्योर एंड क्योर हेल्थकेयर द्वारा निर्मित विटामिन सी और डी3 की टैबलेट्स शेल्कल भी परीक्षण में पास नहीं हुई। कोलकाता की कोलकाता औषधि परीक्षण प्रयोगशाला ने एल्केम हेल्थ साइंस की एंटीबायोटिक्स क्लैवम 625 और पैन डी को नकली माना गया है।

बच्चों को दी जाने वाली ये दवा भी हुई फेल
इसी प्रयोगशाला ने हैदराबाद स्थित हेटेरो के सेपोडेम एक्सपी 50 ड्राई सस्पेंशन घटिया गुणवत्ता का करार दिया है। ये दवा बैक्टीरियल संक्रमण में बच्चों को दी जाती है। कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड की पैरासिटामोल गोलियों को भी गुणवत्ता संबंधी चिंताओं के लिए चिह्नित किया गया है। दवा नियामक ने गुणवत्ता परीक्षण में विफल होने वाली दवाओं की दो सूचियां साझा की हैं। जिसकी एक सूची में 48 लोकप्रिय दवाएं हैं। वहीं दूसरी सूची में अतिरिक्त 5 दवाएं हैं। जो टेस्ट में फेल पाई गई हैं। वहीं इन दवा कंपनियों ने जिम्मेदारी लेने से इनकार करते हुए कहा कि जिन दवाओं का परीक्षण हुआ है। वे ‘नकली’ हैं।

अगस्त में बैन की गई थीं 156 दवाएं
अगस्त में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने एक से ज्यादा संयोजन वाली 156 फिक्स डोज दवाओं (एफडीसी) पर प्रतिबंध लगा दिया था। एफडीसी उन दवाओं को कहा जाता है, जिनमें 2 या 2 से अधिक दवाओं के केमिकल (साल्ट) को निश्चित अनुपात में मिलाकर बनाया जाता है। इस सूची में एसेक्लोफेनाक 50 एमजी और पैरासिटामोल 125 एमजी टैबलेट, पैरासिटामोल और ट्रामाडोल, टारिन और कैफीन के संयोजन और एसिक्लोफेनाक 50 एमजी और पैरासिटामॉल 125 एमजी टैबलेट समेत कई दवाओं पर रोक लगा दी थी।

Charan Das Mahant Archives – JoharCG