श्रीअन्न के रकबे में वृद्धि

joharcg.com भारत में कृषि क्षेत्र ने एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर छू लिया है। पिछले तीन वर्षों में श्रीअन्न (मिलेट्स) के रकबे में दोगुनी वृद्धि दर्ज की गई है। यह उपलब्धि न केवल किसानों के कड़े परिश्रम का परिणाम है, बल्कि सरकार की प्रभावी नीतियों और प्रोत्साहनों का भी प्रमाण है।

श्रीअन्न, जिसे मिलेट्स के नाम से भी जाना जाता है, एक पोषक तत्वों से भरपूर फसल है। इसमें उच्च मात्रा में फाइबर, प्रोटीन, और आवश्यक विटामिन्स होते हैं, जो इसे एक स्वस्थ और पोषक अनाज बनाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में, स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता और बदलते खान-पान की आदतों ने मिलेट्स की मांग को बढ़ावा दिया है।

राज्य सरकार कर रही है अभूतपूर्व प्रयास

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने श्रीअन्न उगाने वाले किसानों को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ में की गई पहल से वर्ष 2023 को “अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष” के रूप में मनाया गया। प्रधानमंत्री श्री मोदी की अभिनव पहल से श्रीअन्न के उत्पादन के क्षेत्र में देश और प्रदेश को नई दिशा मिली है। प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा कृषि क्षेत्र में की गई पहल के लिये मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आभार माना है। उन्होंने कहा कि किसानों की परिश्रम से आज प्रदेश में श्रीअन्न का रकबा पिछले 3 साल में बढ़कर दोगुना हो गया है। मध्यप्रदेश में श्रीअन्न (मिलेट) के उत्पादन और उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिये अभूतपूर्व प्रयास किये जा रहे हैं। इसके सकारात्मक परिणाम भी आ रहे हैं। राज्य सरकार के प्रयासों और किसानों के परिश्रम से मिलेट्स के रकबे में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2020-21 में जहाँ इसका रकबा 67 हजार हेक्टेयर था, वह वर्ष 2023-24 में बढ़कर 1.35 लाख हेक्टेयर रिकॉर्ड किया गया है।

सरकार ने भी श्रीअन्न की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं और सब्सिडी दी हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी नीतियों ने किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की है, जिससे वे अपनी खेती का विस्तार कर सके हैं। इसके अलावा, किसानों को उन्नत बीज, सिंचाई सुविधाएं और कृषि तकनीकों की जानकारी भी उपलब्ध कराई गई है।

इस वृद्धि का एक बड़ा हिस्सा उन राज्यों से आया है जहां पहले मिलेट्स की खेती कम होती थी। मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने श्रीअन्न की खेती में उल्लेखनीय प्रगति की है।

प्रदेश में मिलेट फसलें जैसे कोदो-कुटकी, ज्वार-बाजरा, रागी आदि किसानों द्वारा उगाई जाती है। इनमें कोदो-कुटकी की खेती मुख्य रूप से अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्रों जैसे मंडला, डिंडौरी, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, छिन्दवाड़ा आदि जिलों में की जाती है। रागी की खेती प्रदेश में डिण्डोरी, मण्डला, सिवनी और जबलपुर में व्यापक तौर पर की जाती है। प्रदेश के खरगौन, खण्डवा, बड़वानी, छिंदवाड़ा, बैतूल, राजगढ़ और गुना जिले में ज्वार की खेती होती है। प्रदेश में बाजरे की खेती मुख्य रूप से मालवा क्षेत्र में होती है। मिलेट्स की खेती मुख्यत: खरीफ ऋतु में की जाती है।

कृषि मंत्री ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “श्रीअन्न की खेती में हुई इस वृद्धि ने हमारे किसानों को आर्थिक स्थिरता प्रदान की है और उनके जीवन स्तर में सुधार किया है। हमारा लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में हम इस वृद्धि को और भी आगे बढ़ाएं और मिलेट्स को देशभर में एक प्रमुख खाद्यान्न के रूप में स्थापित करें।”

श्रीअन्न की बढ़ती मांग को देखते हुए, सरकार ने इसके प्रसंस्करण और विपणन पर भी ध्यान केंद्रित किया है। इसके लिए विशेष पैकेजिंग और ब्रांडिंग की जा रही है, जिससे मिलेट्स को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेचा जा सके।

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि श्रीअन्न की खेती में वृद्धि न केवल किसानों के लिए लाभदायक है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। मिलेट्स की फसल कम पानी और कम उर्वरक में भी अच्छी पैदावार देती है, जिससे जल और भूमि संसाधनों की बचत होती है।

प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर फ़ूड फेस्टिवल, रोड-शो इत्यादि से मिलेट्स का प्रचार-प्रसार किया गया। इतना ही नहीं इंदौर में आयोजित 17वें प्रवासी भारतीय दिवस एवं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में श्रीअन्न आधारित उत्पादों की शो-केसिंग की गई। भोपाल में हुए जी-20 (कृषि वर्किंग ग्रुप) सम्मेलन में श्रीअन्न आधारित प्रदर्शनी भी लगाई गई। मिलेट्स को प्रोत्साहित करने के लिये मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के सहयोग से निगम के सभी होटल्स में मिलेट व्यंजन परोसे जा रहे हैं।

यह सफलता कहानी इस बात का प्रमाण है कि यदि सरकार और किसान मिलकर काम करें, तो किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। श्रीअन्न की खेती में हुई इस दोगुनी वृद्धि ने भारतीय कृषि क्षेत्र को एक नई दिशा दी है और भविष्य के लिए उम्मीदें बढ़ा दी हैं।

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