joharcg.com छत्तीसगढ़ में धान की फसल की बुवाई के साथ ही, किसानों को विभिन्न बीमारियों और कीटों के हमलों से बचने के लिए विशेषज्ञों की सलाह मिल रही है। विशेष रूप से, तना छेदक, बंकी और झुलसा जैसे रोगों ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है।

कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे फसल के शुरूआती चरण में ही इन बीमारियों के प्रति सतर्क रहें। तना छेदक कीट धान की पौधों को नुकसान पहुँचाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप फसल की उपज में कमी आती है। वैज्ञानिकों ने कहा,
“किसानों को नियमित रूप से अपने खेतों की निगरानी करनी चाहिए और यदि कोई कीट या बीमारी दिखाई दे, तो तुरंत उपाय करना चाहिए।”

बंकी रोग, जो अधिकतर नमी और तापमान में बदलाव के कारण फैलता है, से बचाव के लिए किसान फसल के लिए सही किस्म का बीज चुनें। बंकी से प्रभावित फसलें पीली पड़ जाती हैं और उनकी वृद्धि रुक जाती है। वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया कि,
“फसल की सही देखभाल और समय पर कीटनाशकों का उपयोग करने से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।”

झुलसा रोग भी धान की फसल को प्रभावित करता है, जो फफूंद के कारण होता है। इससे बचने के लिए, किसान फसल में उचित जल निकासी सुनिश्चित करें और रोगमुक्त बीजों का चयन करें। कृषि विशेषज्ञों का कहना है,
“यदि फसल में झुलसा दिखाई दे, तो तुरंत प्रभावित पत्तों को काटकर नष्ट कर दें और आवश्यक कीटनाशकों का उपयोग करें।”

इसके अतिरिक्त, किसानों को सलाह दी गई है कि वे फसल चक्र का पालन करें और खेतों में उचित मात्रा में खाद और पानी का प्रयोग करें। इस प्रकार, कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से किसान अपने खेतों में स्वास्थ्यवर्धक धान की फसल उगा सकते हैं। किसानों ने भी इन सलाहों का स्वागत किया है और कहा है कि वे अपनी फसल की सुरक्षा के लिए सभी उपाय करेंगे। एक किसान ने कहा,

“हम सभी सलाहों का पालन करेंगे ताकि हमारी फसल सुरक्षित रहे और हमें अच्छी उपज मिले।” इस प्रकार, कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से किसान तना छेदक, बंकी और झुलसा जैसे रोगों से बचने के लिए तैयारी कर रहे हैं, जिससे वे अपनी धान की फसल की उपज में सुधार कर सकें।

छत्तीसगढ़ में चालू खरीफ सीजन में अब तक 48.16 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न फसलों की बोनी हो चुकी हैं। जबकि राज्य सरकार द्वारा इस सीजन में 48.63 लाख बोनी का लक्ष्य रखा गया है। इनमें प्रमुख रूप से धान की फसल की बोनी जाती है। इस साल अच्छी बारिश हुई हैं। लेकिन अच्छी बारिश होने के बावजूद, हाल के दिनों में तेज धूप और बदलते मौसम के कारण कुछ जिलों में धान की फसल में तना छेदक, बंकी और झुलसा जैसी बीमारियों के लक्षण सामने आ रहे हैं। कृषि विभाग ने किसानों को इन बीमारियों से बचाव के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।

कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि तना छेदक से बचाव के लिए किसान फेरोमोन ट्रैप और लाइट ट्रैप का इस्तेमाल कर सकते हैं। भूरा माहो कीट के नियंत्रण के लिए फोरेट का उपयोग न करने की सलाह दी गई है। यदि कीट प्रकोप गंभीर हो जाता है, तो इमिडाक्लोप्रिड या इथीप्रोप$इमिडाक्लोप्रिड दवाओं का उपयोग किया जा सकता है।

धान की फसल में झुलसा रोग के लक्षण दिखाई देने पर ट्राइसाइक्लोजोल, आइसोप्रोथियोलेन, या टेबुकोनाजोल जैसी फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव करने की सलाह दी गई है। छिड़काव दोपहर 3 बजे के बाद करने पर यह अधिक प्रभावी होगा, और 10 से 15 दिन के अंतराल पर इसे दोहराने की आवश्यकता होगी।

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