वन शहीद दिवस

joharcg.com मुख्यमंत्री साय ने राष्ट्रीय वन शहीद दिवस पर उन वीर वनकर्मियों और पर्यावरण संरक्षकों को नमन किया, जिन्होंने प्रकृति की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। हर साल 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि उन बहादुर लोगों को सम्मानित किया जा सके, जिन्होंने वन्यजीवों की रक्षा और जंगलों को बचाने के लिए अपना जीवन न्योछावर किया।

इस मौके पर सीएम साय ने कहा, “प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता को बचाने के लिए वनकर्मियों और पर्यावरण संरक्षकों का बलिदान अविस्मरणीय है। उनकी साहसिक कहानियाँ हमें प्रेरणा देती हैं कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने अपने कर्तव्यों का पालन किया। वे न केवल हमारे वनों की रक्षा कर रहे थे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण का निर्माण कर रहे थे।”

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार इन वीरों के परिवारों के साथ खड़ी है और उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जाएगा। उनके बलिदान की कहानियाँ समाज को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने में अहम भूमिका निभाएंगी।

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस उन बहादुरों को समर्पित है, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण, अवैध शिकार रोकने, वन्यजीवों की सुरक्षा और वनों की कटाई को रोकने के लिए संघर्ष किया। हर साल इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि देश उन लोगों को याद करे और उनकी बहादुरी की कहानियाँ आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाई जा सके।

इस दिन वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जिनमें वृक्षारोपण, जागरूकता अभियान और शहीदों के सम्मान में समारोह शामिल होते हैं।

वनकर्मी हमारे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़े होते हैं। वे जंगली जीव-जंतुओं की सुरक्षा से लेकर अवैध कटाई और शिकार को रोकने में अपनी जान जोखिम में डालते हैं। ऐसे कई वनकर्मी हैं, जिन्होंने अपने जीवन की परवाह किए बिना इन खतरों का सामना किया और हमारे पर्यावरण की रक्षा की।

आज की बदलती जलवायु और बढ़ती पर्यावरणीय चुनौतियों के बीच, वनकर्मियों का काम और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। उन्होंने न केवल अपने कर्तव्यों को निभाया बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर वन विभाग के कर्मचारियों को उनके निरंतर प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया और उन्हें पर्यावरण की रक्षा के प्रति समर्पित रहने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार वनकर्मियों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगी।इस मौके पर कई वरिष्ठ वन अधिकारी और पर्यावरणविद् भी उपस्थित थे। उन्होंने भी वन शहीदों की बहादुरी और उनके साहसिक योगदान को सलाम किया।

सीएम साय ने इस अवसर पर जनता से भी अपील की कि वे पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा, “यह केवल वनकर्मियों का कर्तव्य नहीं है, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वे पर्यावरण की रक्षा करें। जंगल हमारे जीवन का आधार हैं और हमें इसे बचाने के लिए आगे आना होगा।”इस दिन का उद्देश्य न केवल शहीदों को श्रद्धांजलि देना है, बल्कि जनता को यह भी याद दिलाना है कि प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।

प्रदेश के मुख्यमंत्री साय ने आज राष्ट्रीय वन शहीद दिवस पर बहादुर वनकर्मियों और पर्यावरण संरक्षकों के साहसिक बलिदान को सलामी दी। इस दिन को मनाकर उन्होंने इन वीर वनकर्मियों और पर्यावरण संरक्षकों की प्रतिष्ठा को बढ़ावा दिया। राष्ट्रीय वन शहीद दिवस प्रत्येक वर्ष 11 सितंबर को मनाया जाता है ताकि हम सभी याद करें कि वनकर्मियों और पर्यावरण संरक्षकों का जो समर्पण और बलिदान है, वह कभी नहीं भूलना चाहिए।

साय ने यहां विशेष रूप से बताया कि वनकर्मियों का कार्य बहुत मुश्किल होता है और उनकी जीवन में कई कठिनाइयाँ और चुनौतियां आती रहती हैं। फिर भी वे अपने कर्तव्य का पालन करते हुए हमारे वन्य जीवों और जलवायु की रक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देते हैं।

इन वनकर्मियों के साहस और संघर्ष को सलामी देते हुए, साय ने उनकी प्रतिभा और समर्पण की सराहना की। वनकर्मियों और पर्यावरण संरक्षकों के बिना हमारी प्राकृतिक समृद्धि संभव नहीं है, तो हम सभी को उनके महत्वपूर्ण योगदान का सम्मान करना चाहिए।

साय ने अपने विचारों में व्यक्त किया कि यह दिवस हमें वन्य जीवों और पर्यावरण की रक्षा के महत्व को समझने के लिए मदद करता है और हमें उनके समर्पण को सम्मानित करने के लिए प्रेरित करता है।इस महत्वपूर्ण दिवस पर हम सभी को वनकर्मियों और पर्यावरण संरक्षकों के साहस और समर्पण का समर्थन करना चाहिए और उनके योगदान को सराहना करना चाहिए।

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