joharcg.com गांवों में भेड़ियों के हमलों के बढ़ते खतरे ने लोगों के बीच दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। भेड़ियों के खौफ से बचने के लिए गांववालों में दरवाजों की मांग अचानक से बढ़ गई है, जिससे फर्नीचर शॉप्स में लोगों की लाइन लग गई है। यह स्थिति ऐसी हो गई है कि कई शॉप्स में दरवाजों की किल्लत भी होने लगी है, और लोग अपने घरों की सुरक्षा के लिए जल्द से जल्द दरवाजे बनवाने की कोशिश कर रहे हैं।
हाल के दिनों में, गांवों में भेड़ियों के हमले की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। इन खतरनाक जानवरों के हमलों में कई मवेशियों और पालतू जानवरों की जान जा चुकी है, और अब यह खतरा इंसानों तक भी पहुंच गया है। इस डर के कारण लोग अपने घरों को सुरक्षित रखने के लिए मजबूती से बंद करने वाले दरवाजों की तलाश कर रहे हैं।
फर्नीचर शॉप्स पर दरवाजों की मांग इतनी तेजी से बढ़ी है कि कई दुकानदारों को अतिरिक्त मजदूरों को काम पर रखना पड़ रहा है। कुछ गांवों में तो स्थिति यह है कि लोग घंटों लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि उन्होंने पहले कभी इतनी बड़ी मांग नहीं देखी थी। इस स्थिति को देखते हुए, कुछ फर्नीचर शॉप्स ने रात में भी काम करना शुरू कर दिया है, ताकि समय पर सभी ग्राहकों को उनकी जरूरत के अनुसार दरवाजे उपलब्ध कराए जा सकें।
गांववालों का कहना है कि उन्होंने पहले कभी इस तरह का डर महसूस नहीं किया था। एक ग्रामीण ने बताया, “हमने हमेशा अपने घरों के दरवाजे साधारण बनाए थे, लेकिन अब मजबूती और सुरक्षा के लिए मोटे और भारी दरवाजों की जरूरत पड़ रही है। हर किसी के मन में एक ही डर है कि रात में कहीं भेड़िये घर के अंदर न घुस जाएं।”
फर्नीचर शॉप्स में दरवाजों की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि कई बार ग्राहकों को अपनी पसंद के दरवाजे नहीं मिल पा रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि वे ग्राहकों को उनकी जरूरत के अनुसार दरवाजे बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन समय की कमी के कारण सभी की मांगें पूरी करना मुश्किल हो रहा है।
दरवाजों की बढ़ती मांग ने न केवल दुकानदारों की व्यस्तता बढ़ाई है, बल्कि गांवों में भी इस विषय पर चर्चा शुरू हो गई है। लोग एक-दूसरे से दरवाजों की गुणवत्ता और उनकी मजबूती के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। कुछ गांवों में तो सामूहिक रूप से दरवाजे बनवाने की योजना भी बनाई जा रही है, ताकि सभी को सुरक्षा मिल सके।
इस घटना ने गांववालों के जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है। जहां पहले लोग बिना किसी चिंता के रात को सो जाते थे, वहीं अब हर किसी के मन में एक डर बैठ गया है। भेड़ियों के हमलों से निपटने के लिए प्रशासन भी गांवों में जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन फिलहाल दरवाजों की मांग में कोई कमी नहीं दिख रही है।
गांववालों को उम्मीद है कि भेड़ियों के हमलों से जल्द ही छुटकारा मिल जाएगा, लेकिन तब तक उनके पास अपनी सुरक्षा के लिए दरवाजे मजबूती से बंद रखने के अलावा कोई और उपाय नहीं है।
बहराइच. यूपी के बहराइच में भेड़ियों के खतरे के चलते अब लकड़ी के दरवाजों की मांग बढ़ गई है. भेड़िया प्रभावित क्षेत्रों में बनी फर्नीचर की दुकानों पर हर दिन के हिसाब से 20 से 25 दरवाजों के आर्डर आ रहे हैं और बिक रहे हैं. इसको लेकर एक दुकानदार ने बताया कि पहले इस सीजन में एक दरवाजे का ऑर्डर भी नहीं आता था, मगर अब भेड़िये के डर से ऑर्डर की भरमार है.
दुकानदार ने कहा कि आनन-फानन में गांववाले अपने-अपने घरों में दरवाजे लगवा रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से हर रोज 20 से 25 दरवाजे बिक रहे हैं. अभी भी ऑर्डर आ रहे हैं. दरवाजों की कीमत 2 से 3 हजार के आस-पास है. लोगों में भेड़ियों का डर ऐसा बैठा है कि वे अब बिना दरवाजे के नहीं रहना चाहते. बता दें कि बहराइच के महसी तहसील और उसके आसपास के 30 से अधिक गांवों में भेड़ियों का आतंक है. ये आदमखोर अबतक 10 लोगों का शिकार कर चुके हैं. दर्जनों को घायल कर चुके हैं. वन विभाग समेत पुलिस-प्रशासन की टीम उन्हें पकड़ने में लगी हुई हैं. फिलहाल, चार भेड़िये पकड़े गए, दो अभी पकड़ में नहीं आए हैं.
सिकंदरपुर मक्का पुरवा गांव में भी भेड़िये की दहशत है. इस अकेले के गांव में अब तक भेड़िया 4 बार हमला कर चुका है. एक नाबालिग की जान भी ले चुका है. ऐसे में इस गांव से डर के मारे 2 परिवार पंजाब पलायन कर चुके हैं. दरअसल, रामू कुमार अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहते थे, लेकिन कुछ दिनों से शुरू हुए भेड़िये के हमलों के बाद वह दहशत में थे. कुछ दिन पहले उनके घर पर भी भेड़िये ने हमला किया, जिसमें उनके छोटे लड़के को ले जाने की कोशिश की. किसी तरह गांव वालों की मदद से उन्होंने भेड़िये से अपने परिवार की जान बचाई. लेकिन भेड़िये ने बच्चे को हाथ और पैर में गहरे घाव दे दिए.
वह अस्पताल में भर्ती रहा, जब वह सही होकर आया तो रामू ने बहराइच छोड़ने का फैसला किया. रामू के भाई राम कुमार ने बताया कि वह भेड़िये के हमले से बहुत परेशान हो गया था. उसे अपने बच्चों और परिवार की चिंता सता रही थी. हम लोगों ने रोकने की कोशिश की लेकिन वह अपनी फसल की बटाई कर, घर में ताला लगाकर, परिवार को लेकर चला गया.
गौरतलब है कि बहराइच के जिस इलाके में भेड़ियों का आतंक है, वह इलाका काफी पिछड़ा हुआ है. बिजली आदि की उचित व्यवस्था नहीं है. लोग अभी भी कच्चे-पक्के घरों में रह रहे हैं. जिनमें कई में तो दरवाजे तक नहीं हैं. हालांकि, अब सब दरवाजे लगवा रहे हैं.