joharcg.com राज्यपाल श्री रमेन डेका ने हाल ही में विश्वविद्यालयों की भूमिका पर महत्वपूर्ण बयान देते हुए उन्हें सामूहिकता, ज्ञान और संस्कृति का संरक्षक बताया। उनके इस बयान ने विश्वविद्यालयों की समाज में केंद्रीय भूमिका और उनके योगदान को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है।
राज्यपाल डेका ने कहा कि विश्वविद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं हैं, बल्कि ये समाज की सामूहिकता, सांस्कृतिक धरोहर और ज्ञान के संरक्षक भी हैं। उनका मानना है कि विश्वविद्यालयों का दायित्व केवल छात्रों को शिक्षित करना नहीं बल्कि समाज के विकास, संस्कृति के संरक्षण और ज्ञान के विस्तार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है।
श्री डेका के अनुसार, विश्वविद्यालयों को एक ऐसा मंच प्रदान करना चाहिए जहां विभिन्न संस्कृतियों और विचारों का आदान-प्रदान हो सके। यह न केवल शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देता है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी सुदृढ़ करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विश्वविद्यालयों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझते हुए अपने पाठ्यक्रम और कार्यक्रमों में सामूहिकता और सांस्कृतिक समावेशिता को प्रमुख स्थान देना चाहिए।
राज्यपाल ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालयों की भूमिका सिर्फ शैक्षिक नहीं है, बल्कि ये सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर को भी संजोने का कार्य करते हैं। वे समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने और एक साझा सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में भी सहायक होते हैं।
उन्होंने विश्वविद्यालयों से अपेक्षा की कि वे केवल आधुनिक शिक्षा और तकनीकी विकास पर ध्यान न दें, बल्कि पुरानी परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों को भी बनाए रखें। इसके साथ ही, उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे अपने ज्ञान और अनुभव का उपयोग समाज के भले के लिए करें और एक सशक्त और जागरूक समाज का हिस्सा बनें।
राज्यपाल श्री रमेन डेका का यह बयान विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है और यह दर्शाता है कि शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता और सामाजिक जिम्मेदारी एक-दूसरे के पूरक हैं। विश्वविद्यालयों को इस दिशा में अपने प्रयासों को और मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि वे समाज की अपेक्षाओं पर खरे उतर सकें और एक बेहतर भविष्य की दिशा में योगदान कर सकें।