joharcg.com नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने देश में बागवानी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 1,765.67 करोड़ रुपये के स्वच्छ संयंत्र कार्यक्रम (सीपीपी) को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, सीपीपी बागवानी फसलों में वायरस संक्रमण की समस्या से निपटेगी, जिससे उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती है।
इस कार्यक्रम के तहत पूरे देश में नौ विश्व स्तरीय स्वच्छ पौध केंद्र (सीपीसी) स्थापित किए जाएंगे। इन केंद्रों में संक्रमण की जांच की उन्नत तकनीक और ऊतक संवर्धन प्रयोगशालाएं भी होंगी। इसके अलावा बीज अधिनियम 1966 के तहत एक मजबूत प्रमाणन प्रणाली का कार्यान्वयन किया जाएगा। अच्छे पौधों के लिए बड़े पैमाने पर नर्सरियों को बुनियादी ढांचागत सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा भारतीयकृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सहयोग से क्रियान्वित किया जाएगा।
दो करोड़ और प्रधानमंत्री आवास को भी मंजूरी
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत और दो करोड़ मकान बनाने के ग्रामीण विकास विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29 के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के कार्यान्वयन को मंजूरी दी है। इसमें दो करोड़ से अधिक घरों के निर्माण का प्रावधान है जिसके लिए मैदानी क्षेत्रों में 1.20 लाख रुपये और पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों और पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में 1.30 लाख रुपये की प्रति मकान के लिए सरकारी सहायता दी जाती है।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, कैबिनेट ने इस योजना को अप्रैल 2024 से मार्च 2029 तक जारी रखने पर भी मुहर लगा दी है। 2028-29 तक की अवधि के लिए कुल 3,06,137 करोड़ रुपये का परिव्यय प्रदान किया गया है, जिसमें 2,05,856 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा और 1,00,281 करोड़ रुपये का राज्य हिस्सा शामिल होगा।
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में फलों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके तहत 17.66 करोड़ रुपये की परियोजना स्थापित की गई है, जिसका उद्देश्य फलों की पैदावार में सुधार करना और किसानों की आय में वृद्धि करना है। इस परियोजना के माध्यम से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में आधुनिक खेती की तकनीकों को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे फलों की गुणवत्ता और उत्पादन में महत्वपूर्ण सुधार हो सके।
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य है कि किसानों को उन्नत बीज, आधुनिक सिंचाई सुविधाएँ, और वैज्ञानिक पद्धतियों के बारे में प्रशिक्षित किया जाए। इसके अलावा, परियोजना के तहत किसानों को फसल प्रबंधन, बागवानी और विपणन की बेहतर तकनीकें भी सिखाई जाएंगी, ताकि वे अपने उत्पादों को बाजार में अच्छे दाम पर बेच सकें।
परियोजना के अंतर्गत राज्य के विभिन्न जिलों में बागवानी केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जहाँ किसानों को उन्नत किस्म के पौधे और बीज उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही, उन्हें कृषि विशेषज्ञों द्वारा नियमित रूप से मार्गदर्शन भी मिलेगा, जिससे वे नई-नई तकनीकों का प्रयोग कर सकें। सरकार का मानना है कि इस परियोजना से राज्य में फलों की उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और यह किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध होगी।
इस परियोजना के माध्यम से छत्तीसगढ़ सरकार का उद्देश्य राज्य को फलों की खेती में आत्मनिर्भर बनाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की जलवायु और मिट्टी फलों की खेती के लिए अनुकूल है, और इस परियोजना के माध्यम से इन प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग किया जाएगा। उन्होंने किसानों से इस योजना का लाभ उठाने की अपील की और उन्हें आश्वासन दिया कि सरकार उनकी हर संभव मदद के लिए तैयार है।
परियोजना के तहत, फलों की खेती के लिए चयनित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा, जिसमें सिंचाई सुविधाओं का विस्तार, मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार, और जल संरक्षण के उपाय शामिल हैं। इसके अलावा, सरकार ने फलों के प्रसंस्करण और भंडारण के लिए भी सुविधाओं की व्यवस्था की है, ताकि किसानों को अपने उत्पादों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में मदद मिल सके।
राज्य सरकार की इस पहल को किसानों के बीच सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। किसानों का मानना है कि इस परियोजना से उन्हें अपनी फसल की पैदावार में सुधार करने और बेहतर मुनाफा कमाने का अवसर मिलेगा।
यह परियोजना छत्तीसगढ़ को फलों की उत्पादन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करने में मदद मिलेगी।