joharcg.comरायपुर समाचार: हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है जो आदिवासी संस्कृति और सभ्यता को मजबूत और सशक्त बनाने का माध्यम है। इस दिन को दुनिया भर में 90 से अधिक देशों में निवास करने वाले जनजाति आदिवासियों को समर्पित किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियों के अधिकारों और अस्तित्व के संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाना है।
हालांकि, छत्तीसगढ़ में इस बार कोई सरकारी प्रोग्राम आयोजित नहीं किया गया है और इस मामले पर प्रदेश कांग्रेस चीफ दीपक बैज ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है। इसे देखते हुए समाज में अस्मिता और उत्कृष्टता के बेईमानी खिलाफ आंदोलन चलाते हुए, पीसीसी चीफ दीपक बैज ने एक आमंत्रित सम्मेलन का आयोजन करने का निर्णय लिया है।
पिछले कुछ वर्षों में बढ़ते नक्सलवाद के खिलाफ, आदिवासियों को संरक्षण और समर्थन प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार को कठिन परिस्थितियों का सामना करना होगा।
छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता और सांसद दीपक बैज ने आज एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने आदिवासी समुदाय के प्रति किए गए अपमान पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने इसे समाज के लिए एक गंभीर और शर्मनाक घटना करार दिया और कहा कि यह आदिवासियों के सम्मान और गरिमा के खिलाफ है।
दीपक बैज ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि हाल ही में एक घटना के दौरान आदिवासी समुदाय को अपमानित किया गया, जो कि न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि यह समाज में आदिवासियों के प्रति बढ़ती असहिष्णुता का भी संकेत है। उन्होंने इस घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह केवल एक व्यक्ति या समूह का नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी समुदाय का अपमान है।
- आदिवासियों के अधिकारों की अनदेखी: दीपक बैज ने इस घटना को आदिवासियों के अधिकारों और उनके सामाजिक सम्मान के लिए एक बड़ा धक्का बताया। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के अधिकारों की अनदेखी और उनके सम्मान का हनन न केवल संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन है, बल्कि यह उनके आत्म-सम्मान को भी चोट पहुंचाता है।
- समाज के लिए चिंताजनक: बैज ने इस घटना को समाज के लिए गंभीरता से लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाएँ समाज में विभाजन और असहमति को बढ़ावा देती हैं, जो कि हमारे देश के लिए बेहद हानिकारक हो सकती हैं।
दीपक बैज ने इस घटना के खिलाफ आवाज उठाते हुए समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे आदिवासियों के सम्मान और गरिमा की रक्षा के लिए एकजुट हों। उन्होंने कहा कि यह समय है जब हमें आदिवासी समुदाय के साथ खड़े होकर उनके अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
- न्याय की मांग: उन्होंने घटना की पूरी जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि न्याय दिलाने के लिए सभी स्तरों पर प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।
- आदिवासियों के लिए समर्पण: बैज ने समाज के सभी वर्गों से आग्रह किया कि वे आदिवासियों के उत्थान के लिए अधिक समर्पण के साथ काम करें। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय को केवल सहानुभूति नहीं, बल्कि वास्तविक समर्थन और सशक्तिकरण की आवश्यकता है।
दीपक बैज के इस बयान के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मच गई है। कई नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना की निंदा की है और आदिवासी समुदाय के समर्थन में आवाज उठाई है।
- राजनीतिक समर्थन: विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी दीपक बैज के इस बयान का समर्थन किया है और कहा कि आदिवासियों के सम्मान के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता।
- सामाजिक जागरूकता: इस घटना ने समाज में आदिवासियों के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाने की दिशा में काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
दीपक बैज ने संकेत दिया कि यदि आदिवासी समुदाय के खिलाफ इस प्रकार के अपमानजनक घटनाएँ जारी रहती हैं, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय को संगठित होकर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आना होगा।
इस बयान के साथ ही दीपक बैज ने एक बार फिर से यह स्पष्ट किया है कि आदिवासी समुदाय के सम्मान और गरिमा के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई को सहन नहीं किया जाएगा, और इसके लिए वे हर संभव कदम उठाएंगे।