joharcg.com उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल की पूजा में और विशेषतः भस्म आरती से पहले किए जाने वाले जलाभिषेक का एक विशेष महत्व है। इस पूजा के दौरान कोटितीर्थ कुंड का भी बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इस कुंड में भारत के सभी सात तीर्थों का पानी मिश्रित है। जानकारों का कहना है कि महाकाल की पूजा के लिए कोटितीर्थ कुंड में जाना और उसमें स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। यह कुंड न केवल महाकाल की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यहाँ का पानी प्रदूषण को भी दूर करने में सहायक होता है।
यहाँ के पंडित और गाइड कहते हैं कि कोटितीर्थ कुंड से जुड़ी कई पुरानी कथाएं भी हैं। उनके अनुसार, इस कुंड की उत्पत्ति महाकाल के विशाल जल से हुई थी और इसके पानी में भारतीय संस्कृति का सम्मान छुपा हुआ है। जब भी कोई भक्त यहाँ आता है, तो वह कुंड के पानी से स्नान करता है और फिर महाकाल की पूजा को समर्पित करता है। इस स्थान का एक अद्भुत वातावरण है जो भक्तों को ध्यान में मस्त कर देता है।सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति और धरोहर को महाकाल की पूजा में एकीकृत करने वाले इस कुंड का महत्व कभी कम नहीं हो सकता। यहाँ के पानी में सभी तीर्थों का निवास होने से यहाँ का पानी पवित्रता के साथ भी युक्त है।
इसी तरह से, उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर के कोटितीर्थ कुंड का महत्व अत्यंत अद्भुत और गहन रूप से गाहा जाता है। यह एक स्थान है जहाँ भक्ति और श्रद्धा से भरी हुई महाकाल की पूजा की जाती है और लोग इसे अपने मान-सम्मान का प्रतीक मानते हैं।, उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर, हिन्दू धर्म के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां का कोटितीर्थ कुंड, जो मंदिर के परिसर में स्थित है, भक्तों के लिए एक विशेष आस्था का केंद्र है। महाकालेश्वर की पूजा में इस कुंड का अद्वितीय महत्व है, जो श्रद्धालुओं के मन में अपार श्रद्धा और विश्वास उत्पन्न करता है।
कोटितीर्थ कुंड को लेकर मान्यता है कि इसका जल पवित्र और शुद्ध है। यहां स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाकाल की पूजा से पहले यहां स्नान करना अनिवार्य माना जाता है, जिससे व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से पवित्र हो जाता है। यह कुंड श्रद्धालुओं के लिए एक आस्था का केंद्र है, जहां वे अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए जल अर्पित करते हैं।
कुंड का महत्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि पर्यावरणीय और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। कुंड का जल संचित करने और इसे स्वच्छ बनाए रखने की परंपरा उज्जैन की संस्कृति का हिस्सा है। इसके चारों ओर का वातावरण शांत और सुरम्य है, जो मन को शांति और सुखद अनुभव प्रदान करता है।
कोटितीर्थ कुंड के साथ जुड़ी कथाओं के अनुसार, इस कुंड में स्नान करने से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माना जाता है कि यहां स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को महाकाल की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। यह कुंड महाकालेश्वर मंदिर की पूजा विधि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भक्तों की आस्था को और गहरा बनाता है।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर और कोटितीर्थ कुंड का धार्मिक महत्व इस बात का प्रमाण है कि यह स्थल श्रद्धा और भक्ति का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां का अनुभव भक्तों के जीवन को बदल सकता है और उन्हें आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जा सकता है। इस पवित्र स्थल का दर्शन करना और कोटितीर्थ कुंड में स्नान करना एक अविस्मरणीय अनुभव है, जो आत्मा को शुद्ध करता है और मन को शांति प्रदान करता है।