joharcg.com राइट ऑफ से एजुकेशन (रटे) एक्ट 2009 के अनुच्छेद 17 पर हुई विस्तृत चर्चा ने शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम की ओर कामधेक धकेल दिया। इस चर्चा में शिक्षा मंत्रालय, एनसीसीआरटी, उन्नति चाहने वाली संगठनों, एक्टिविस्ट्स और शिक्षा और सामाजिक समूहों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
आरटीई एक्ट के अनुच्छेद 17 के तहत हर बच्चे का मूलभूत अधिकार है कि वह 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त और विशेष शिक्षा का लाभ दिला कर उन्हें समान रूप से शिक्षा का अधिकार प्राप्त हो। इस चर्चा में बच्चों के शिक्षा के हक की महत्वाकांक्षा की गई और सहायक उपायों की चर्चा हुई। शिक्षा मंत्रालय ने भी इस मुद्दे पर ध्यान दिया और बच्चों के शिक्षा के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए नए कार्यक्रम और योजनाओं की घोषणा की।
एनसीसीआरटी के अध्यक्ष ने इस चर्चा को अत्यंत महत्वपूर्ण करार दिया और स्थिरता की बजाय स्थायित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों के शिक्षा से जुड़े हर मुद्दे पर गहरी चर्चा करना जरूरी है ताकि समर्थन और सुन्नंदता सुनिश्चित हो सके। राइट ऑफ से एजुकेशन (रटे) एक्ट 2009 के अनुच्छेद 17 पर हुई इस विस्तृत चर्चा ने शिक्षा के क्षेत्र में नए उत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
RTE एक्ट 2009 (Right of Children to Free and Compulsory Education Act) ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया है। इस कानून के तहत, बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार मिला है। इस कानून के अंतर्गत आने वाले अनुच्छेद 17 पर एक विस्तृत चर्चा और विशेषज्ञ विचार यह दर्शाते हैं कि इस कानून ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में कितनी प्रभावशाली भूमिका निभाई है।
अनुच्छेद 17 RTE एक्ट 2009 का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो विशेष रूप से स्कूलों में बच्चों की भर्ती और उनके अधिकारों की सुरक्षा से संबंधित है। यह अनुच्छेद यह सुनिश्चित करता है कि सभी बच्चों को समान अवसर प्राप्त हों और किसी भी बच्चे को उसके सामाजिक या आर्थिक स्थिति के आधार पर शिक्षा से वंचित न रखा जाए। इसके तहत, निजी स्कूलों में 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित की जाती हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, अनुच्छेद 17 ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में समानता और न्याय को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शिक्षाविद और समाजशास्त्री इस बात पर जोर देते हैं कि यह अनुच्छेद शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। इससे न केवल गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों को शिक्षा का अवसर मिला है, बल्कि इससे समाज में समानता और समरसता की भावना भी बढ़ी है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि अनुच्छेद 17 के कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ सामने आई हैं। इनमें सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता और निजी स्कूलों द्वारा आरक्षित सीटों के कार्यान्वयन में बाधाएँ शामिल हैं। उन्होंने सुझाव दिया है कि इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए निरंतर निगरानी और सुधार की आवश्यकता है।
इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सामाजिक और आर्थिक बाधाओं को समाप्त करने के लिए इस अनुच्छेद को और मजबूत करने की आवश्यकता है। इसके तहत, शिक्षा के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने, स्कूलों की सुविधाओं में सुधार करने और शिक्षा के गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
RTE एक्ट 2009 के अनुच्छेद 17 ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक नई दिशा दी है, और इसके द्वारा प्रदान किए गए अवसरों ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। यह स्पष्ट है कि इस अनुच्छेद का प्रभाव दूरगामी है और इसे लागू करने से समाज में शिक्षा की गुणवत्ता और समानता सुनिश्चित करने में सहायता मिली है। Vishnu Deo Sai Archives – JoharCG