उज्जैन डमरू विश्व रिकॉर्ड

joharcg.com मध्य प्रदेश: उज्जैन में तीसरे सावन सोमवार को 1500 डमरू वादकों ने अपने प्रदर्शन से विश्व रिकॉर्ड बनाया। यह घटना महाकाल की नगरी उज्जैन में हुई और इसने नए अंदाज में ताजगी लाई। पवित्र सावन माह के इस सोमवार को महाकालेश्वर मंदिर, महालोक लोक के परिसर में स्थित शक्तिपथ पर कुल 1500 डमरू वादक एक साथ एक महान प्रदर्शन प्रस्तुत करने आए। यह दृश्य देखकर सभी को गर्व महसूस हुआ और उन्होंने एक नए रिकॉर्ड की स्थापना की।

इस अद्भुत क्षण में 1500 डमरू वादकों ने अपनी समन्वयित ढोलकी बजाने के कौशल दिखाए और एक साथ वजन भरे काम को संगीतरूप में परिवर्तित किया। उनकी संगीत अद्वितीय थी, जिससे सभी को एक अविस्मरणीय अनुभव मिला। जनता ने इस रिकॉर्ड को वाहवाही और सम्मान से स्वागत किया और उन्हें बधाई दी। उन्होंने इस मिट्टी को गौरवान्वित किया और इस महान कार्य को महत्व दिया। यह प्रदर्शन न केवल एक रिकॉर्ड बनाने का है, बल्कि एक संगीतरूपी दृश्य की भी रूपरेखा दिखाता है जिससे लोगों में संगीत के प्रति उत्साह और रुचि उत्पन्न हुई।

यह घटना सावन के महीने को और भी प्रसन्नता और धार्मिकता के साथ मान देती है। इस प्रकार की सामूहिक प्रदर्शनीय कार्यक्रम से समाज में झंडा ऊँचा किया जा सकता है और युवा पीढ़ी के बीच सांस्कृतिक श्रेष्ठता को बढ़ावा मिल सकता है। इस विश्व रिकॉर्ड प्रदर्शन ने किए गए सभी डमरू वादकों के प्रयास और सामर्थ्य की चर्चा में जिज्ञासा को जगाया है और संगीत के महत्व को और ऊंचाई तक पहुंचाने का संकल्प दिखाता है।,

उज्जैन में तीसरे सावन सोमवार को एक ऐतिहासिक घटना घटी जब 1500 डमरू वादकों ने मिलकर एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया। यह आयोजन महाकालेश्वर मंदिर के पास स्थित एक विशाल मैदान में आयोजित किया गया, जहाँ हर साल सावन के महीने में विशेष पूजा और भव्य आयोजन किए जाते हैं।

इस रिकॉर्ड बनाने वाले आयोजन में 1500 से अधिक डमरू वादकों ने एक साथ अपने डमरू बजाए, जिससे पूरे वातावरण में एक दिव्य और अद्भुत ध्वनि का संचार हुआ। इस ऐतिहासिक प्रदर्शन ने केवल स्थानीय निवासियों को ही नहीं, बल्कि पूरे देश भर के भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

धर्मिक और सांस्कृतिक महत्व से भरे इस आयोजन ने महाकालेश्वर मंदिर के प्रति भक्तों की श्रद्धा और आस्था को और भी मजबूत किया। यह आयोजन विशेष रूप से सावन के सोमवार को आयोजित किया गया था, जो भगवान शिव के लिए एक महत्वपूर्ण दिन होता है। डमरू बजाने वाले वादक न केवल अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे थे, बल्कि वे भगवान शिव की भक्ति और श्रद्धा को भी प्रकट कर रहे थे।

कार्यक्रम के दौरान, आयोजन स्थल पर हजारों की संख्या में भक्तों और दर्शकों ने इस अनूठे प्रदर्शन को देखा और इसका आनंद लिया। प्रत्येक वादक ने एक समय में अपने डमरू को बजाया, जिससे एक सुमधुर और शक्तिशाली ध्वनि का निर्माण हुआ।

इस अद्वितीय प्रदर्शन ने न केवल एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि भारतीय संस्कृति और धर्म की गहराई और विविधता को किसी भी सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता। यह आयोजन उज्जैन की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को और भी ऊंचा उठाने में सहायक साबित हुआ है।

आयोजकों ने इस ऐतिहासिक दिन को यादगार बनाने के लिए सभी वादकों और भक्तों का आभार व्यक्त किया। इस सफलता के साथ ही उज्जैन में एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ है, जो भविष्य में भी ऐसे और भव्य आयोजनों की उम्मीद जगा रहा है।

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