joharcg.com सावन के महीने के पवित्र अवसर पर भोरमदेव में भगवान शिव के मंदिर में विशेष उत्सव का आयोजन किया गया। कांवड़ियों और श्रद्धालुओं की भीड़ ने मंदिर परिसर को ‘हर-हर महादेव’ के उद्घोष से गुंजायमान कर दिया। इस दिन की भव्यता और धार्मिक उल्लास ने भोरमदेव की धरती को एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया।
मंदिर परिसर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होने लगी थी। भक्तों ने भगवान शिव के दर्शन के लिए लंबी कतारें लगाईं और कांवड़ लेकर मंदिर पहुंचे। कांवड़ियों ने अपने कांवरों पर जल भरकर और पारंपरिक गीतों की धुन पर नाचते हुए मंदिर की ओर यात्रा की। उनके ‘हर-हर महादेव’ के नारे और भव्यता ने एक दिव्य वातावरण का निर्माण किया, जिससे पूरा क्षेत्र आस्था और भक्ति से सराबोर हो गया।
मंदिर के प्रांगण में विशेष पूजा और अभिषेक का आयोजन किया गया। भक्तों ने भगवान शिव पर दूध, जल, बेलपत्र और फूल अर्पित किए। इस दिन को खास बनाने के लिए मंदिर में विशेष सजावट की गई थी, और पूजा समारोह में रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण किया गया। धार्मिक भजन और कीर्तन का आयोजन भी किया गया, जिसमें भक्तों ने एक साथ मिलकर भक्ति गीत गाए और शिव की आराधना की।
स्थानीय प्रशासन ने इस दिन के आयोजन के लिए विशेष व्यवस्थाएं की थीं। भक्तों की सुरक्षा, पार्किंग, पेयजल और सुविधाओं का ध्यान रखा गया। पुलिस बल की तैनाती की गई थी ताकि शांति व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके और भक्तों की यात्रा सुखद बनी रहे।
भोरमदेव में इस धार्मिक उत्सव ने भक्तों को एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया। कांवड़ियों और श्रद्धालुओं के नारों ने भगवान शिव के दरबार को एक दिव्य रूप दे दिया। इस दिन की भव्यता और भक्तों की आस्था ने यह साबित कर दिया कि भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा की कोई सीमा नहीं होती।
सावन के इस पवित्र अवसर पर भोरमदेव में भगवान शिव के प्रति यह समर्पण और भक्ति का उत्सव एक प्रेरणादायक अनुभव था, जो भक्तों के दिलों में हमेशा के लिए अंकित रहेगा।
भोरमदेव मंदिर में भगवान शिव के दरबार में कांवड़ियों और श्रद्धालुओं के गर्म बोल बंम की गूंज सुनाई दे रही है। यहाँ, हर-हर महादेव के नारों से भगवान की दिव्य परम्परा सतत जारी है।
प्राचीन और पुरातात्विक महत्व के इस स्थान पर पवित्र सावन माह के महीने में सैकड़ों किलोमीटर लंबी पदयात्रा का आयोजन होता है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भोरमदेव मंदिर के महत्व को समझते हुए इस पवित्र स्थल का दौरा किया।कांवड़ियों ने भगवान शिव के नाम पर जल लेकर यात्रा की और अपने भक्तिभाव से मंदिर में ऊंचे ध्वनियों में किरकिराहट महसूस की। यहाँ दर्शनार्थी भगवान के ध्यान में लगे हुए हैं और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
इस स्थल पर गंगा जल को भगवान शिव के मंदिर के गोलकर्म में भेट कराया गया है। यहाँ कांवड़ियों ने खुद को शिव के भक्त मानकर पावन जल से मन्दिर को सजाया है। सावन माह में यहाँ कांवड़ यात्रा काफी प्रभावशाली होती है और लोग इसमें भाग लेने के लिए उत्साहित होते हैं। भोरमदेव मंदिर सावन में एक अद्वितीय और शांतिपूर्ण एवं दिव्य स्थल बन जाता है।
इस पवित्र स्थल पर हो रही श्रद्धा की भावना ने हर किसी को अपनी ओर आकर्षित किया है। सावन में भगवान शिव की महिमा के गीत गाते हुए यहाँ कांवड़ और श्रद्धालु पूरी श्रद्धा भाव से भगवान की धरोहर का सम्मान कर रहे हैं। इस पवित्र स्थल में खुश होकर दर्शन करने वाले लोगों को मानो स्वर्ग का अंश वास्तव में मिला हो। यहाँ बसने वाली शांति और अनंत सुख की भावना हर दर्शनार्थी की जीवन में विशेष खुशी और सुख का कारण बनती है।