हरेली अमावस्या अंधश्रद्धा निर्मूलन

joharcg.com रायपुर। हरेली अमावस्या की रात को अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति, अंधविश्वास और पाखंड के खिलाफ अभियान चलाने जा रही है। समिति के अध्यक्ष, डाॅ. दिनेश मिश्र ने घोषणा की कि इस विशेष जनजागरण अभियान के दौरान जादू टोने और टोनही प्रताड़ना के विरोध में ग्रामीणों को जागरूक किया जाएगा। इस अभियान में रात्रिभ्रमण, पम्पलेट और पोस्टर वितरण, तथा शपथ दिलाने जैसी गतिविधियाँ शामिल होंगी।

डाॅ. मिश्र ने बताया कि हरियाली अमावस्या को लेकर अनेक भ्रांतियाँ हैं, जिनमें से कुछ लोग इसे जादू-टोने से जोड़कर देखते हैं। उन्होंने कहा कि यह सब परिकल्पनाएँ हैं और इनका कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं है। जादू-टोने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और कोई महिला टोनही नहीं होती।डाॅ. मिश्र ने जोर दिया कि बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं का वास्तविक कारण जीवाणु, कीटाणु, गंदगी, प्रदूषित पानी, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हैं।

सावन माह में बरसात के कारण बैक्टीरिया और कीटाणुओं का प्रसार बढ़ जाता है, जिससे आंत्रशोध, पीलिया, वायरल फीवर, मलेरिया जैसी बीमारियाँ फैलती हैं। इन बीमारियों से बचाव के लिए साफ-सफाई, सुरक्षित पानी का उपयोग, और स्वच्छ भोजन का ध्यान रखना आवश्यक है।
डाॅ. मिश्र ने यह भी कहा कि कोरोना और अन्य संक्रमणों से बचाव के लिए साफ-सफाई, मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग, और हाथ धोना महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने कहा कि नीम की टहनी का उपयोग अंधविश्वास के कारण बच्चों और लोगों द्वारा जादू-टोने से बचने के लिए किया जाता है, लेकिन इससे पेड़ों को नुकसान पहुंचता है। समिति का “कोई नारी टोनही नहीं” अभियान जारी रहेगा, जिसमें रात्रिभ्रमण के माध्यम से ग्रामीणों को अंधविश्वास और भ्रम से मुक्त करने का प्रयास किया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है।

हरेली अमावस्या के अवसर पर छत्तीसगढ़ में अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति द्वारा एक अनूठी पहल की जा रही है। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में भूत-प्रेत, टोनही और अन्य अंधविश्वासों से जुड़े डर को समाप्त करना है। समिति के सदस्य इस विशेष रात में ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण करेंगे और लोगों को अंधविश्वास के खिलाफ जागरूक करेंगे।

हरेली अमावस्या को कई क्षेत्रों में भूत-प्रेत और टोनही जैसी अंधश्रद्धाओं के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन कई लोग इन अंधविश्वासों के कारण भयभीत रहते हैं और इस वजह से मानसिक तनाव में रहते हैं। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति का उद्देश्य इन डर और भ्रांतियों को दूर करना है ताकि लोग वैज्ञानिक सोच और तर्कसंगत दृष्टिकोण अपनाएं।

समिति के अध्यक्ष ने बताया कि इस रात्रि भ्रमण के दौरान, वे गाँव-गाँव जाकर लोगों से मिलेंगे और उन्हें समझाएंगे कि भूत-प्रेत और टोनही जैसी मान्यताएँ केवल अंधविश्वास हैं। वे इन मान्यताओं के पीछे के वैज्ञानिक कारणों और मनोवैज्ञानिक प्रभावों की भी चर्चा करेंगे। इसके अलावा, वे ग्रामीणों को अंधविश्वासों से बचने के उपाय भी बताएंगे और यह समझाएंगे कि इन बातों से डरने की कोई जरूरत नहीं है।

समिति के सदस्य ग्रामीणों से कहेंगे कि वे किसी भी अस्वाभाविक घटना को अंधविश्वास के रूप में न देखें और उसका तर्कसंगत समाधान खोजें। वे लोगों को यह भी बताएंगे कि कैसे अंधविश्वासों का लाभ उठाकर कुछ लोग समाज में डर और अराजकता फैलाते हैं। इस अभियान के माध्यम से समिति का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना और उन्हें अंधविश्वास के चंगुल से मुक्त करना है।

इस पहल को सफल बनाने के लिए समिति ने विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों और कार्यशालाओं का आयोजन भी किया है। इनमें लोगों को अंधविश्वास के खिलाफ जानकारी देने के साथ-साथ वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया जाएगा। समिति ने इस पहल में समाज के विभिन्न वर्गों, विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं, को शामिल करने की योजना बनाई है ताकि इस संदेश को व्यापक रूप से फैलाया जा सके।

हरेली अमावस्या के इस विशेष अवसर पर अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की यह पहल निश्चित रूप से एक सकारात्मक कदम है। यह ग्रामीण समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और अंधश्रद्धाओं को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। समिति के इस प्रयास से लोगों में तर्कसंगत सोच का विकास होगा और वे अपने जीवन में विज्ञान और तर्क को अपनाने की दिशा में प्रेरित होंगे।