पाठ्यक्रम जनजातीयों के विकास का विजन डॉक्यूमेंट बने
राज्यपाल जनजातीय शोध एवं अध्ययन पाठ्यक्रम कार्यशाला में शामिल हुए
joharcg.com राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि नई पीढ़ी को जनजाति समुदाय से अपनी मातृभूमि के लिए प्रेम और बलिदान की भावना से प्रेरणा लेनी चाहिए। जननायकों के बलिदान को अपने हृदय में संजोकर रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनजातीयों के अध्ययन एवं शोध के लिए शोधार्थियों में जनजातीय समुदाय से जुड़ने, गहराई से समझने की अनुभूति और संवेदनशीलता का होना जरुरी है।
उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ जनजातियों की जीवन शैली में होने वाले परिवर्तनों की पहचान करनी चाहिए। उसी के अनुरुप शोध और अध्ययन की प्रणाली को विकसित करे, तभी अध्ययन को प्रासंगिक, प्रमाणिक और प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
राज्यपाल श्री पटेल जनजाति शोध एवं अनुशीलन केंद्र दिल्ली के तत्वावधान में राजीव गांधी प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित जनजाति शोध एवं अध्ययन पाठ्यक्रम कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि जनजातीय अध्ययन पाठ्यक्रम विजन डॉक्यूमेंट होना चाहिए। उसमें जनजातियों की सांस्कृतिक संप्रभुता, संवैधानिक प्रावधान और ऐतिहासिकता के विविध आयामों का समेकित अध्ययन किया जाना चाहिए। जरूरी है कि पाठ्यक्रम में जनजातियों के जीवन मूल्यों, नैसर्गिक सादगी की विशिष्टताएं भी शामिल हो। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री
श्री नरेन्द्र मोदी जनजाति समुदाय और उनके जन नायकों के प्रति संवेदनशील हैं। उन्होंने नई शिक्षा नीति में नई पीढ़ी को जनजातीय नायकों के कृतित्व और व्यक्तित्व को समझने का अवसर दिया है। प्रदेश सरकार जनजातीय शोध को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्यपाल ने जनजातीय शोध एवं अध्ययन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों के प्रयासों और विद्यार्थियों की प्रभावी सहभागिता की सराहना की।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा, तकनीकी एवं आयुष मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार ने कहा कि जनजातीय समाज देश की धरोहर है। उनकी आध्यात्मिक चिंतन परंपरा और ज्ञान से नई पीढ़ी को सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि शोध एवं अध्ययन संगोष्ठी जनजातियों के लिए अंग्रेजों द्वारा किए गए अप्रमाणिक, अपूर्ण और पूर्वागृहों से जुड़ी मान्यताओं को संशोधित करने और उन्हें वास्तविकता के साथ प्रस्तुत करने का अवसर है।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री हर्षवर्धन सिंह चौहान ने जनजातीय समाज की समृद्ध परंपराओं को देश का गौरव और ताक़त बताया। जनजातीय शोध एवं अनुशीलन केंद्र, दिल्ली के अध्यक्ष श्री डी.एम. किरण ने कहा कि जनजातीय समुदाय के शोध एवं अध्ययन को प्रमाणिकता देने के लिए जनजातीय समुदाय के अनुभवों को आधार बनाना चाहिए। उन्होंने शोध एवं अध्ययन पाठ्यक्रम के लिए देश भर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों और कार्यशालाओं की जानकारी देते हुए अनुशीलन केंद्र द्वारा दी जा रही सुविधाओं के बारे में बताया।
राज्यपाल श्री पटेल का कुलपति आर.जी.पी.वी श्री सुनील कुमार गुप्ता ने पुष्पगुच्छ से स्वागत और स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया। इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों का भी शॉल और श्रीफल से अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में राजभवन जनजाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष श्री दीपक खांडेकर, राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री संजय कुमार शुक्ल, विश्वविद्यालयों के कुलपति, विद्वतजन, शोधार्थी, विद्यार्थी उपस्थित थे।