जेशुआपुर महोत्सव में शामिल हुए राज्यपाल
joharcg.com छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन ओडिशा प्रवास के दौरान आज भुवनेश्वर जिले के जयदेव विधानसभा क्षेत्र में आयोजित 7वें जेशुआपुर महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।इस अवसर पर राज्यपाल ने जेशुआपुर सहित ओडिशा की भाषा, साहित्य, संस्कृति, परंपरा और गौरव के इतिहास का उल्लेख करते हुए मधु बाबू,फकीर मोहन, दिग्विजयी खरबे और कपिलांडे देव को याद किया।
उन्होंने कहा कि इन सब विभूतियों ने ओडिशा की भाषा, साहित्य, परंपरा, गौरव और परंपराओं को ऊंचाई प्रदान की। श्री हरि चंदन ने लोगों से पूर्ववर्तियों की तरह अपने अधिकारों, मानवता और अपने लोगों के लिए लड़ने का आह्वान किया। राज्यपाल ने धर्मगुरुओं से अपने गौरवपूर्ण इतिहास की रक्षा करने की अपील की।
इस अवसर पर पंचशक युग के संतों में से एक रचनाकार जयदेव और भक्त कवि बाल अनंत दास का भी उन्होंने स्मरण किया। कार्यक्रम में जयदेव निर्वाचन क्षेत्र के विधायक अरविंद सियालदी, खुर्दा के पूर्व विधायक दिलीप श्रीचंदन, महोत्सव के संस्थापक रंजन कुमार महापात्र और अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
ओडिशा के राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए राज्य के गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ओडिशा की समृद्ध संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण हमारे सामूहिक प्रयासों से ही संभव है, और इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।
राज्यपाल श्री हरिचंदन ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि ओडिशा की ऐतिहासिक धरोहर न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के सांस्कृतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। ओडिशा के प्राचीन मंदिर, सांस्कृतिक स्थल और ऐतिहासिक स्मारक हमारे पूर्वजों की महान उपलब्धियों और उनकी कला का प्रतीक हैं। इन स्थलों की रक्षा और संरक्षण न केवल हमारे अतीत की रक्षा करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को हमारी सांस्कृतिक धरोहर के महत्व को समझने का अवसर भी प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि समय के साथ इन ऐतिहासिक धरोहरों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जैसे कि प्राकृतिक आपदाएं, मानव गतिविधियां और पर्यावरणीय परिवर्तन। ऐसे में, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन धरोहरों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक संसाधनों का निवेश करें। राज्यपाल ने इस संबंध में सरकार की योजनाओं और पहलों की सराहना की और सभी नागरिकों से अपील की कि वे सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं।
श्री हरिचंदन ने स्थानीय प्रशासन, सांस्कृतिक संगठनों और समाज के अन्य प्रमुख तत्वों को भी इस प्रयास में शामिल होने की बात की। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों और कॉलेजों में सांस्कृतिक जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए ताकि युवा पीढ़ी को भी अपनी सांस्कृतिक धरोहर के महत्व का एहसास हो सके और वे इसे संरक्षित रखने में योगदान दे सकें।
इसके अतिरिक्त, राज्यपाल ने ओडिशा के विभिन्न पर्यटन स्थलों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की बात की ताकि राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल सके। उनका कहना था कि इस प्रकार की पहल से न केवल ओडिशा की धरोहर की रक्षा होगी बल्कि आर्थिक विकास और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। Vishnu Deo Sai Archives – JoharCG
अंत में, श्री हरिचंदन ने यह विश्वास व्यक्त किया कि अगर सभी मिलकर काम करेंगे, तो ओडिशा की गौरवशाली विरासत को संरक्षित और संजीवनी देने में सफल होंगे।