राजधानी रायपुर के एक निजी होटल में आयोजित किसान सम्मेलन एवं पुरस्कार समारोह में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आये उन्नतशील किसानों को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्नतशील किसानों ने नवाचार अपनाकर खेतों में फसल उत्पादन के साथ आमदनी बढ़ने की जानकारी अन्य किसानों के साथ साझा की।धमतरी जिले के किसान श्री लीलाराम साहू ने कृषि के क्षेत्र में नवीनत्म तकनीक का समावेश कर बैंगन की एक नई किस्म इजाद की है। इसे निरंजन बैंगन का नाम दिया गया है। इसकी खासियत यह है कि देश मे उत्पादित विभिन्न प्रजातियों के बैंगन में से इसकी लंबाई सर्वाधिक हैं। इसकी लंबाई अधिकत्म दो फीट तक हो़ सकती है। धमतरी जिले के कुरूद निवासी श्री लीलाराम को उसकी इस उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा कृषक सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्नतशील सब्जी उत्पादक कृषक श्री लीलाराम साहू ने मंच पर अपने नवाचार को साझा करते हुये बताया कि उन्होंने पारम्परिक रूप से देशी सिंघी भटा के बीज तैयार करने के लिए शुद्ध घी 100 ग्राम, शहद 200 ग्राम, बरगद के पेड़ की जड़ के पास की मिट्टी 500 ग्राम, गोमूत्र 2400 ग्राम, गोबर 1200 ग्राम में आवश्यक पोषक तत्व मिलाया, तदुपरांत उपचारित बीज का प्रसंस्करण किया। इसके बाद बीजों में अंकुरण ज्यादा लाने, निरोग बनाए रखने, फल की लम्बाई में वृद्धि करने व गुदा की मात्रा बढ़ाने और स्वाद में बढ़ोतरी करने का कार्य किया। परिणामस्वरूप आश्चर्यजनक व नवाचारी गुण से परिपूर्ण बैंगन की नई किस्म विकसित हुई, जिसका नामकरण (निरंजन) अपने पिताजी के नाम पर किया। उक्त नवाचारी बैंगन के बीज को उनके द्वारा धमतरी सहित छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के प्रगतिशील किसानों को हर साल निःशुल्क वितरण किया जाता है। आज निरंजन बैंगन की खेती छत्तीसगढ़ के अलावा मणिपुर, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, गुजरात, महाराष्ट्र सहित केरल राज्य में भी की जाती है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने भी उनके ‘निरंजन‘ बैंगन के उत्पाद के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय नवप्रवर्तक संस्थान अहमदाबाद के द्वारा डॉक्यूमेंटेशन के उपरांत बैंगन की उक्त प्रजाति के लिए साल-2017 में पेटेंट भी किया गया था।
बेमेतरा जिले के बेरला विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम खुड़मुड़ा के उन्नतशील किसान श्री खेदूराम बंजारे को मुख्यमंत्री ने पराली का उपयोग जैविक खाद के रूप में किये जाने पर सम्मानित किया। किसान श्री बंजारे ने बताया कि पराली जलाने से प्रदूषण उत्पन्न होने के साथ फसल उत्पादन क्षमता में कमी आती है। उन्होंने बताया कि वे अपने खेतों में पराली को नहीं जलाते। खेतों में धान कटाई के बाद शेष बचने वाले पराली को वे मिट्टी में ही छोड़कर उसमें गोबर व पानी डालकर सड़ने के लिये छोड़ देते हैं। इससे खेत की मिट्टी और भी अधिक उर्वरा बनने के साथ फसल के उत्पादन क्षमता को बढ़ाने का काम करती है। कृषक श्री बंजारे ने बताया कि वह पशुपालन भी करता है और गोबर का विक्रय नहीं कर उसे खाद बनाने और खेतों में करता है। उन्होंने अन्य किसानों को भी पराली का सदुपयोग करने की अपील की। स्व-सहायता समूह सुकमा की श्रीमती सरिता कश्यप ने कड़कनाथ का पालन कर उसकी बिक्री से हुई आमदनी के बारे में बताते हुये कहा कि इससे उनके समूह की 10 सदस्यों का जीवनयापन बेहतर तरीके से हो पाता है। इसी तरह कोरबा जिले के कटघोरा की श्रीमती सरोज पटेल ने जैविक कीटनाशक निर्माण से आमदनी, कोण्डागांव के विजय कुमार ने जल संरक्षण से कृषि उत्पादन को बढ़ावा, रायगढ़ की शारदा मालाकार ने गोठान के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट निर्माण और विक्रय से होने वाले लाभ, राजनांदगांव की श्रीमती वहिदा बेगम ने डेयरी फार्मिंग,श्री अभिषेक चावड़ा ने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर फसल उत्पादन को बढ़ाने की जानकारी साझा करते हुये अन्य किसानों को भी नवाचार अपनाने की अपील की।