Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act
Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act

Joharcg.com छत्तीसगढ़ में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) कार्यों में ‘आधी आबादी’ यानि महिलाओं की भूमिका लगातार बढ़ रही है। मनरेगा में अकुशल श्रमिक के रूप में काम करने वालों में करीब 51 प्रतिशत महिलाएं हैं। कार्यस्थल पर काम की नाप-जोख और श्रमिकों के प्रबंधन का काम देखने वाले मेटों में महिला मेटों की भागीदारी 56 प्रतिशत है। मेट के रूप में गांव की महिलाएं कार्यस्थलों पर बदली हुई भूमिका में नजर आ रही हैं। पहले केवल मजदूरी करने तक सीमित रहने वाली महिलाएं अब मेट के तौर पर श्रमिकों के प्रबंधन के साथ ही कार्यस्थल पर गोदी खोदने के लिए चूने से मार्किंग, मजदूरों द्वारा किए गए कार्य को मापकर उसे माप-पुस्तिका में दर्ज करने और श्रमिकों के जॉब-कार्ड को अद्यतन करने जैसे महत्वपूर्ण मैदानी काम कर रही हैं। मनरेगा में वे अर्द्धकुशल श्रमिक के रूप में सेवाएं देती हैं और इसी के अनुरूप उन्हें भुगतान भी प्राप्त होता है।

मनरेगा में महिला मेट की नियुक्ति के बाद से कार्यस्थलों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ी है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अंतर्गत गठित स्वसहायता समूहों की सक्रिय महिलाओं को मनरेगा में मेट के रूप में नियुक्ति में प्राथमिकता दी जा रही है। गांवों में पहले से ही स्वावलंबन की अलख जगा रही ये महिलाएं बांकी महिलाओं को भी न केवल मनरेगा में रोजगार दिला रही हैं, बल्कि स्वसहायता समूहों के माध्यम से स्वरोजगार शुरू करने में भी सहायता कर रही हैं। उन्हें रोजगारमूलक गतिविधियों से जोड़कर आय के स्थाई साधन तैयार कर रही हैं। महिला मेट मनरेगा कार्यस्थलों में महिलाओं की परेशानी के निदान का भी विशेष ध्यान रखती हैं। उनकी निगरानी में कार्य करने का मौका पाकर महिलाएं मनरेगा कार्यों से ज्यादा संख्या में जुड़ रही हैं।

मनरेगा के प्रभावी क्रियान्वयन और शिक्षित ग्रामीण महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए  महिला मेटों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है। प्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत कार्यरत कुल मेटों में से 56 प्रतिशत महिलाएं हैं। प्रदेश में अभी 43 हजार 313 महिला मेट काम कर रही हैं, जबकि पुरूष मेटों की संख्या 33 हजार 675 है। राज्य के 28 जिलों में से 24 जिलों में महिला मेटों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक है। महिला मेटों की भागीदारी बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में 82 प्रतिशत, बिलासपुर में 79 प्रतिशत, कोरबा में 72 प्रतिशत, बलरामपुर-रामानुजगंज में 70 प्रतिशत, महासमुंद में 66 प्रतिशत, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में 65 प्रतिशत, दुर्ग में 63 प्रतिशत, रायपुर में 61 प्रतिशत और रायगढ़ में 60 प्रतिशत है। बीजापुर, मुंगेली और सूरजपुर में कार्यरत कुल मेटों में से 59-59 प्रतिशत महिलाएं हैं। बस्तर और राजनांदगांव में 58-58 प्रतिशत, कोंडागांव में 56 प्रतिशत, बालोद, जांजगीर-चांपा, कोरिया और सुकमा में 55-55 प्रतिशत, बेमेतरा में 54 प्रतिशत, कबीरधाम में 52 प्रतिशत, कांकेर और सरगुजा में 51-51 प्रतिशत तथा जशपुर जिले में 50 प्रतिशत मेट महिलाएं हैं।

50 प्रतिशत रोजगार सृजन महिलाओं द्वारा ही

चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में मनरेगा के अंतर्गत रोजगार प्राप्त श्रमिकों में महिला श्रमिकों की हिस्सेदारी करीब 51 प्रतिशत है। इस साल अब तक 42 लाख चार हजार 138 श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है, जिनमें 21 लाख 30 हजार 856 महिला श्रमिक हैं। इस वर्ष सृजित कुल मानव दिवस में से 50 प्रतिशत रोजगार इन महिलाओं द्वारा सृजित हैं। पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में भी मनरेगा के तहत रोजगार प्राप्त श्रमिकों में महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत से अधिक थी। इस दौरान आधे से अधिक मानव दिवस रोजगार का सृजन महिलाओं द्वारा ही किया गया था।