Joharcg.com शासकीय अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन ने 14 नवम्बर को प्रांतीय संयोजक अनिल शुक्ला की अध्यक्षता में दीपावली मिलन समारोह आयोजित किया। जहां समस्त कर्मचारी संगठनों के प्रान्ताध्यक्षों ने एक सुर मेें कहा कि यदि छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के कर्मचारियों एवं पेंशनरों को 31 प्रतिशत महंगाई भत्ता देने की शीघ्र घोषणा नहीं करेगी तो राज्य के समस्त कर्मचारी अधिकारी एवं पेंशनर दो माह के अन्तराल में अनिश्चित कालीन हड़ताल करेंगे। अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन धमतरी के जिला प्रवक्ता एम एस भास्कर और जिला संयोजक दीपक शर्मा ने बताया कि बढ़ती हुई महंगाई के विरोध में जहां छत्तीसगढ़ की सरकार महंगाई के विरोध में आये दिन आंदोलन कर रही है। वहीं राज्य के कर्मचारियों एवं पेंशनरों को भारत के सभी राज्यों से कम 17 प्रतिशत महंगाई भत्ता देकर कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही है। कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान 31, पंजाब 28, झारखण्ड 31, महाराष्ट्र 28 प्रतिशत महंगाई भत्ता 1 जुलाई 2021 से दे रहे हैं।
प्रांतीय संयोजक अनिल शुक्ला तथा जिला संयोजक दीपक शर्मा, गोपाल शर्मा,मनोज वाधवानी ने कहा कि अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के कर्मचारियों की दो प्रमुख मांगे है। 31 प्रतिशत डीए और सांतवे वेतनमान के आधार पर गृह भाड़ा भत्ता सहित समस्त भत्तों का पुनरीक्षण करना। इन मांगो को लेकर हम अब सरकार से अब आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे। उन्हने कहा हड़ताल की तिथि की घोषणा प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में कर्मचारी न्याय योजना का जन जागरण करने निकले प्रांतध्यक्षो का सामूहिक दौरा पूर्ण होने के बाद की जाएगी। दीवाली मिलन समारोह में 22 कर्मचारी अधिकारी संगठनों के प्रांताध्यक्ष एवं प्रांतीय पदाधिकारी सम्मिलित थे। बैठक को मंत्रालयीन कर्मचारी संघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष महेन्द्र सिंह राजपूत, स्वास्थ्य कर्म संघ के प्रांत अध्यक्ष ओपी शर्मा, लिपिक वर्ग कर्म. संघ के प्रांताध्यक्ष रोहित तिवारी पटवारी संघ के प्रांताध्यक्ष कमलेश सिंह राजपूत तथा कर्मचारी नेता कीर्तिवर्धन उपाध्यक्ष, शिवकुमार पाण्डेय, करण सिंह अटोरिया, संजय दुबे, सुनील यादव, आलोक मिश्रा, विकास सिंह राजपूत, एल.के. नामदेव, प्रकाश शुक्ला, तीरथलाल सेन, डॉ. गोकुल सरकार, संजय तिवारी, रमेश कुमार मारकण्डेय, सुखीराम घृतलहरे ने संबोधित किया। समारोह के अंत में तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष राकेश साहू के निधन पर पर श्रद्धांजली देते हुये संदेहास्पाद मौत के लिये उच्चत्तरीय जांच की मांग उच्च प्रशासन से की गई।