Joharcg.com अपने देश के लिए प्यार आपको कई जगह भ्रमण करने को प्रोत्साहित कर सकती है। मार्च 2019 में ई.डी.डी. विभाग के सहायक प्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुए सुरेश राव के लिए लंबी दूरी तय करना, पहाड़ों की ऊँचाई और समुद्रों विशालता तथा मैदानों के विस्तार और समृद्धि भारत की भव्यता को व्यक्तिगत रूप से देखने का जुनून रहा है। 16 साल पुरानी होंडा सीडी डॉन मोटरसाइकिल पर 43 दिनों में 4700 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए सुरेश राव अब भारत के उत्तरी क्षेत्रों से घूमकर वापस आ गए हैं। कड़क ठंड में और अपने जीजा के साथ अपनी बाइक पर उबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाकों में सवारी करते हुए यात्रा करना एक रोमांचभरा अनुभव था। यात्रा करने का जूनून सुरेश राव को बहुत पहले से रहा है। वे अक्टूबर 1986 में साइकिल से दक्षिण भारत की यात्रा पर गए थे। भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा प्रायोजित इस साइकिल ट्रिप को तत्कालीन एमडी संगमेश्वरन ने झंडी दिखाकर रवाना किया था। 1984 में राव पर्वतारोहण यात्रा पर गए थे और इसी साल मार्च में, राव दक्षिण की ओर कन्याकुमारी तक मोटरसाइकिल पर अपनी पत्नी को बाइक में पीछे बैठाकर लंबी यात्रा की है।
सुरेश राव ने बताया कि 1990 से ही वे इस यात्रा की योजना बना रहे थे। इस साल अगस्त में इस यात्रा के बारे में पहली बार गंभीरता से चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान जहां उन्होंने अद्भुत और मंत्रमुग्ध करने वाले पहाड़ों को देखा, वहीं पहाड़ी जीवन के सादगी को भी नजदीक से महसूस किया। रास्ते में जहां हम अपने जाबांज सैनिकों से मिले वहीं सीमा सड़क संगठन के जवानों से मिलने का भी सुखद अवसर प्राप्त हुआ। इस यात्रा से हमारे लंबे समय से पोषित सपना पूर्ण हुआ। इसके बाद आनेवाले क्षेत्र में आम तौर वीरानी छायी हुई थी और बीच-बीच में सेना के शिविर लगे हुए थे। आगे तांगलिका दर्रा, उपशी, कारू और फिर 17,900 फीट पर खर्दुंगला दर्रे से लेह तक, राव और उनके साले ने हड्डी कपा देने वाले ठंड का अनुभव किया। राव ने कहा कि हमने लेह लद्दाख में 17,582 फीट की ऊंचाई पर टैगलांगला दर्रे सहित सभी दर्रे को छुआ। वे 16 अक्टूबर, 2021 को पैंगोंग झील पहुंचे। हमें सबसे ठंडी जगह कारगिल-द्रास क्षेत्र मिली, जिसे दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा स्थान माना जाता है, जहाँ लोग रहते हों। राव और उनके बहनोई ने जोजिला दर्रे पर बर्फबारी का अनुभव किया। यहां हमें 20 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग 3 से 4 घंटे लग गए। कुछ यादगार अनुभव में कुल्लू में लगभग 8500 फीट की ऊंचाई पर पैरा ग्लाइडिंग, चुंबकीय हिल पर चुंबकीय खिंचाव का महसूस करना एवं अटल सुरंग, रोहतांग जो इंजीनियरिंग चमत्कार है, उसे पार करना था।
अपनी वापसी की यात्रा पर, उन्होंने जम्मू-कश्मीर के रास्ते का सहारा लिया। वे सोनमर्ग से श्रीनगर होते हुए उधमपुर, कटरा, पठानकोट, जम्मू, अमृतसर, हनुमानगढ़ गए फिर वे अजमेर पहुंचे, जहां वे राव की बेटी के साथ रहे, जो वहां एक एनजीओ के लिए काम करती है। वे दोनों 2 नवंबर, 2021 को भिलाई लौट आए। हम अक्सर 40 से 50 किमी प्रति घंटा की गति से यात्रा करते थे। हमने तय किया कि हम रोज शाम करीब 4 बजे आराम करेंगे, उसके बाद हम आस-पड़ोस में घूमेंगे और लोगों से मिलेंगे। हम यात्रा का आनंद और अनुभव करना चाहते थे।