राजधानी में विरोध में सोमवार से मीसाबंदियों का तीन दिवसीय आमरण अनशन
रायपुर । छत्तीसगढ़ में सरकार बदलते ही आपातकाल के दौरान जेलों में बंद मीसाबंदियों के सम्मान निधि पर रोक लगा लगा दी गई है । प्रदेश सरकार के निर्देश पर कलेक्टर पिछले 9 माह से मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन कर रहें है ।जिसके चलते मीसाबंदियों को सम्मान निधि नहीं मिल रही है।
25 जून 1975 की आधी रात देशभर में एक अध्यादेश के बाद आपातकाल लगा दिया गया। इस दौरान संविधान के अनुसार दिए गए नागरिक अधिकारों को निलंबित किया गया था। बंदी प्रत्यक्षीकरण कानून समाप्त कर दिया गया। जिसके बाद गिरफ्तार व्यक्ति को अदालत में 24 घंटे के भीतर प्रस्तुत करने का नियम शिथिल हो गया। कांग्रेस शासित राज्यों के मीसा कानून में एक लाख सत्ता विरोधी जेल में डाल दिए गए। राज्य में भी उन दिनों कांग्रेस सरकार थी। मीसा का पूरा विवरण बताया गया-मेंटनेन्स ऑफ इन्टरनल सिक्योरिटी एक्ट। मजेदार तो ये था इस गिरफ्तारी को अदालत में चैलेंज भी नहीं किया जा सकता था। इस दौरान मीसा कानून के तहत बंदियों को मीसाबंदी कहा जाता है।
इसके विरोध में सोमवार से मीसाबंदियों का तीन दिवसीय आमरण अनशन राजधानी के ईदगाह भाटा मैदान में प्राम्भ हुआ। यह अनशन लोकतंत्र सेनानी संघ के बैनर तले किया जा रहा है।पहले दिन के प्रदर्शन में करीब 200 मीसाबंदियों के साथ प्रबुद्धजन शामिल हुए।इस दौरान मीसाबंदियों ने राज्य सरकार द्वारा सम्मान निधि रोके जाने पर अपना विरोध प्रदर्शन किया,पहले दिन के धरने का नेतृत्व पूर्व विधायक रजनी ताई उपासने ने किया। इस दौरान उन्होंने आपातकाल पर यातनाओ पर प्रकाश डाला। लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रिय अध्यक्ष सच्चिनान्द उपासने ने कहा कि यदि शासन ने सेनानियों का सम्मान वापस नहीं किया तो सेनानी परिवार मुख्यमंत्री निवास के सामने अनशन करेंगे ।
गौरतलब है कि मीसाबंदियों का यह अनशन 25 सितंबर को समाप्त होगा ।समापन अवसर पर सेनानी संघ के राष्ट्रिय अध्यक्ष कैलाश सोनी राज्यसभा सदस्य शामिल होंगे।तीसरे दिन के अनशन के बाद राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जायेगा ! सोमवार के प्रदर्शन में द्वारिका प्रसाद जायसवाल,राधेश्याम शर्मा,किशोर ताटीबंद वाले , दत्ता त्रिपुवार , प्रमोद भार्गव ,कुलवंत सिंह ,विनोद तिवारी, तृप्ति भागड़ी कर ,सुदिक्षणा शेंडे ,रंभा चौधरी,सुमन सिंह व सेनानी संघ के संभाग प्रमुख व जिलाध्यक्ष मौजूद थे ।