Chief Minister inaugurates diversified facility cum value addition center in Danikundi and inaugurates shed
Chief Minister inaugurates diversified facility cum value addition center in Danikundi and inaugurates shed

रायपुर – मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही जिले के मरवाही विकासखंड के वनांचल ग्राम दानीकुंडी में वन विभाग द्वारा संचालित विविध सुविधा सह मूल्य संवर्धन केन्द्र का निरीक्षण किया और यहां निर्मित शेड का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने यहां प्रशिक्षण एवं रोजगार प्राप्त कर रही महिलाओं से प्रशिक्षण, उनके द्वारा तैयार किए जा रहे उत्पादों  तथा विपणन के सम्बन्ध में चर्चा की। परिसर के भ्रमण के दौरान उन्होंने यहां संचालित गतिविधियों की सराहना की। वन विभाग द्वारा मुख्यमंत्री श्री बघेल की संकल्पना के अनुरूप स्थानीय संसाधन, स्थानीय तकनीक और स्थानीय लोगों को आधार मानकर ग्रामीण रोजगार का सृजन कर आदिवासी बाहुल्य दूरस्थ गांवों में लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने का प्रयास किया जा रहा है।

दानीकुंडी स्थित केन्द्र में क्षेत्र की महिलाओं की रुचि को देखकर विविध प्रशिक्षण द्वारा उनका कौशल उन्नयन कर आजीविका के साधन सृजित किये जा रहे हैं। इस वनांचल से प्राप्त उत्पादों के प्रसंस्करण के लिये यह केन्द्र संचालित किया जा रहा है। यहां लाख से चूड़ी एवं गहनों की निर्माण इकाई स्थापित है, जहां वन विभाग के ईएसआईपी परियोजना अंतर्गत आसपास के ग्रामों की 80 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें चूड़ी निर्माण हेतु सामग्री एवं उपकरण प्रदान किये गये हैं। महिलाएं अपने दैनिक पारिवारिक दायित्व के निर्वहन के बाद चूड़ियां बनाती हैं, जिससे उन्हें महीने में पांच हजार रुपये तक की आय हो जाती है। शीघ्र ही इन्हें एक छोटी दुपहिया मोटर गाड़ी भी दी जायेगी जिससे वे हाट बाजारों में अपना सामान बेच सकेंगीं।

इस केन्द्र में सुगंधित अगरबत्ती और काड़ी निर्माण इकाई की स्थापना 7 लाख रुपये की लागत से की गई है। वनमंडल की रोपणी से काड़ी के लिये बांस उपलब्ध कराया जायेगा। यहां निर्मित अगरबत्ती शुद्ध जैविक उत्पाद होगा। इस इकाई से स्थानीय 10 महिलाओं को प्रत्यक्ष लाभ होगा तथा स्थानीय एवं खुदरा बिक्री द्वारा 200 ग्रामों में संचालित किराना दुकान वालों को भी फायदा होगा। यहां प्रतिवर्ष 1 करोड़ अगरबत्ती काड़ी विक्रय की योजना है, जिससे तीन लाख रुपये की आय संभावित है। इस इकाई के विस्तार हेतु वन विकास निगम के सीएसआर मद से 25 लाख रुपये प्रदान किये गये हैं, जिससे शेड सह गोदाम बनाया जायेगा, जिसका शिलान्यास मुख्यमंत्री ने किया। राज्य में सबसे अधिक सीताफल मरवाही में उत्पादित होता है जिसे सस्ते भाव में बिचौलिये क्रय कर लेते हैं। वन प्रबंधन समिति इसे 10 रुपये प्रति किलो की न्यूनतम दर से खरीदेगी और सीताफल प्रसंस्करण केन्द्र में इसका पल्प निर्माण की योजना है। सीताफल के बीज को भी बेचा जायेगा। इससे प्रति किलो शुद्ध लाभ करीब 30 रुपये होगा। इस योजना से 3000 से अधिक लोग लाभान्वित होंगे। इसी तरह सीताफल, महुआ फूल, जामुन, तेंदू आदि फलों के पल्प के मिश्रण से आइसक्रीम निर्माण शुरू किया जा चुका है। संवर्धन केन्द्र में ढेकी चावल प्रसंस्करण इकाई भी स्थापित किया गया है। मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण तथा उत्पादन इकाई, दोना पत्तल निर्माण इकाई, टमाटर प्रसंस्करण केन्द्र, बांस प्रसंस्कण द्वारा फर्नीचर निर्माण, वस्त्र निर्माण सह-प्रशिक्षण इकाई, डिटरजेंट निर्माण इकाई, दुर्लभ वनौषधि संरक्षण एवं प्रसार रोपणी, फेसिंग पोल एवं गमला निर्माण इकाई का भी संचालन हो रहा है।