The central government should give the amount of GST compensation to the states by taking loans themselves - Shri T.S.Singhdeo
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वाणिज्यिक कर मंत्री जीएसटी परिषद की बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंस से हुए शामिल

रायपुर – वाणिज्यिक कर मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव आज वीडियो कॉन्फ्रेंस से जीएसटी परिषद की 43वीं बैठक में शामिल हुए। परिषद की अध्यक्ष एवं केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई बैठक में उन्होंने छत्तीसगढ़ की मांग को दोहराते हुए आग्रह किया कि केंद्र सरकार स्वयं ऋण लेकर राज्यों को उनके हिस्से की जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि जारी करें। इसके लिए राज्यों को बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री अनुराग ठाकुर और विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्री भी बैठक में उपस्थित थे। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित बैठक में श्री सिंहदेव के साथ वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभाग की प्रमुख सचिव डॉ. मनिन्दर कौर द्विवेदी और आयुक्त श्रीमती रानू साहू भी शामिल हुईं।

जीएसटी परिषद की बैठक में राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए भारत सरकार द्वारा दिए गए विकल्पों के संबंध में विगत 5 अक्टूबर को जारी चर्चा को आगे बढ़ाया गया। प्रदेश के वाणिज्यिक कर मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव ने जीएसटी के प्रावधानों और परिषद की पिछली बैठकों में लिए गए निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि जीएसटी लागू होने के पहले पांच वर्षों में जीएसटी क्षतिपूर्ति की 100 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को जारी की जानी है। वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह से वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए भारत सरकार को जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि राज्यों को प्रदान करना चाहिए। यदि केंद्र सरकार इसमें आर्थिक रूप से असक्षम है और इसके लिए ऋण लेना जरूरी हो तो भारत सरकार को स्वयं ऋण लेकर इसकी जिम्मेदारी लेना चाहिए। इसका बोझ राज्यों पर नहीं डालना चाहिए। 

श्री सिंहदेव ने परिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ का पक्ष पुरजोर तरीके से रखते हुए कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति अधिनियम तथा 101वें संविधान संशोधन अधिनियम के अनुरूप केंद्र सरकार को राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति जारी करना चाहिए। राज्यों को इस मद में राशि उपलब्ध कराने की व्यवस्था भारत सरकार को स्वयं करना चाहिए। कोरोना संकट के कारण देश के सभी राज्य आर्थिक रूप से प्रभावित हैं। ऐसे में कर्ज का और बोझ राज्यों पर डालना उचित नहीं है। परिषद की पूर्व की बैठकों में हुई चर्चा के अनुसार जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जाना चाहिए।